रेस्टोरेंट बिजनेस कैसे शुरू करें। How to Start Restaurant Business in India.

यद्यपि एक रेस्टोरेंट चलाना के लिए लम्बे घंटे काम करने की आवश्यकता होती है लेकिन इसके बावजूद भी Restaurant Business उद्यमियों की पसंदीदा बिजनेस में से एक रहा है । कहने का आशय यह है की यदि किसी व्यक्ति के मन में फ़ूड बिजनेस शुरू करने का विचार आता है। तो खुद का रेस्टोरेंट खोलना भी कहीं कहीं उसके विचार में शामिल होता है और वह काफी सरे विचारों पर गंभीरता से सोचकर ही कोई निर्णय ले पाने में सक्षम हो पाता है।

इसके अलावा जैसा की हम सबको विदित है की होटल, रेस्टोरेंट के क्षेत्रों से भी काफी लोग जुड़े हुए हैं। इसलिए एक समय के बाद उन लोगों में भी अपना बिजनेस शुरू करने इच्छा जाग्रत होती है। तो वे रेस्टोरेंट या फिर ढाबा बिजनेस शुरू करने के बारे में ही सोचते हैं। यदि आप भी उन व्यक्तियों में से एक हैं और जानना चाहते हैं की आप रेस्टोरेंट कैसे शुरू कर सकते हैं। तो आगे इस लेख में हम यही बताने का प्रयास कर रहे हैं।

Restaurant business plan in hindi

भारत में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री

एक आंकड़े के मुताबिक भारत की रेस्टोरेंट इंडस्ट्री दुनिया में तीव्र गति से बढ़ने वाली एक इंडस्ट्री है और भारत में 2018 में फ़ूड इंडस्ट्री लगभग 23000 करोड़ थी। वर्तमान में यह और भी बढ़ गई होगी रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के बढ़ने का मुख्य कारण लोगों की जीवनशैली में हो रहे बदलाव, लोगों की आमदनी में हो रही बढ़ोत्तरी, शहरीकरण, कामकाजी जनसँख्या में हो रही वृद्धि इत्यादि हैं। कहने का अभिप्राय यह है की वर्तमान में लोग रेस्टोरेंट में खाना इसलिए अधिक पसंद करने लगे हैं।

क्योंकि आम तौर पर घर में पति एवं पत्नी कामकाजी होते हैं और ड्यूटी से आने के बाद उनका खाना बनाने को मन कम ही करता है। इसके अलावा जिन घरों में पति, पत्नी दोनों कामकाजी नहीं भी हैं वे भी हफ्ते में एक या दो दिन रेस्टोरेंट में खाना पसंद करते हैं। और मेट्रोपोलिटन शहरों एवं टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर तो यह बिजनेस एक नोट छापने वाले बिजनेस के तौर पर काम करता है। क्योंकि अन्य शहरों के मुकाबले यहाँ पर पैसा खर्च करने वाले एवं खान पान के शौक़ीन ग्राहक अधिक होते हैं।

रेस्टोरेंट कैसे शुरू करें (How to Start a Restaurant Business in India)

यद्यपि किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण साधन माना जाता है वह होता है निवेश यानिकी पैसा ।  ऐसा ही Restaurant Business शुरू करने के लिए भी है लेकिन यदि उद्यमी के पास पैसा है भी तब भी उसे इस तरह के बिजनेस को शुरू करने में काफी मेहनत एवं प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

कहने का अभिप्राय यह है की निवेश तो कम या अधिक सभी बिजनेस के लिए चाहिए होता है लेकिन जो सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण चीज किसी बिजनेस को शुरू करने के लिए होती है वह है उस क्षेत्र में काम करने का अनुभव एवं जानकारी ताकि उद्यमी उस बिजनेस में आने वाली कठिनाइयों को संभाल सके और कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपना संयम बनाये रखे। कोई भी व्यक्ति जो खुद का रेस्टोरेंट खोलना चाहता है वह हमारे द्वारा बताई जा रही निम्नलिखित बातों को अनुसरण में ला सकता है।

1. अपने रेस्टोरेंट बिजनेस का प्रकार तय करें

जैसा की हम सबको अच्छी तरह से ज्ञात है की वर्तमान में रेस्टोरेंट के अनेकों प्रकार होते हैं। कहने का आशय यह है की रेस्टोरेंट को अनेकों श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। इनमें प्रमुख रूप से फाइन डाइनिंग, रेस्टरो बार, क्विक सर्विस रेस्टोरेंट, कैफे इत्यादि शामिल हैं। इसलिए उद्यमी का सबसे पहला कदम रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू करने की दिशा में यही होता है की वह यह तय करे की वह किस प्रकार का रेस्टोरेंट खोलना चाहता है।

उद्यमी को यह भी पता लगाना होगा की वह कम से कम कितना फण्ड अपने बिजनेस के लिए पैदा कर सकता है अर्थात वह अपने बिजनेस पर कितना पैसा निवेश करने की सोच रहा है। क्योंकि कहीं न कहीं निवेश की मात्रा भी उद्यमी को यह निर्णय लेने में मदद करेगी की उसे कौन से प्रकार का रेस्टोरेंट खोलना चाहिए।

जब उद्यमी इस बात का निर्णय ले लेता है तो उसके बाद उसे लिखित में अपने बिजनेस की योजना यानिकी बिजनेस प्लान बनाने की आवश्यकता होती है। इसमें रेस्टोरेंट थीम, इंटीरियर डिजाईन के साथ साथ निवेश एवं भविष्य की योजना इत्यादि सभी कुछ शामिल किया जाना चाहिए।     

2. खर्चे का आकलन करें (Investment in Restaurant business):

रेस्टोरेंट शुरू करने में आने वाली लागत का आकलन करना इस बिजनेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वह इसलिए क्योंकि इसका आकलन करने के पश्चात ही उद्यमी फण्ड प्लानिंग एवं आगे की योजना बना पाने में सफल हो पायेगा । इसलिए यहाँ पर यह जान लेना अति आवश्यक है की एक रेस्टोरेंट खोलने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लागतों का आकलन करने की आवश्यकता हो सकती है।

खाद्य लागत (Food Cost)

Restaurant Business में फ़ूड कास्ट से आशय उस लागत से है जो उद्यमी कलो कच्चा माल जैसे आटा, दाल, चावल, मसाले, मांस इत्यादि खरीदने में खर्च करने की आवश्यकता होती है। एक आंकड़े के मुताबिक किसी डिश को बनाने में लगने वाली फ़ूड कास्ट उस डिश की कुल कीमत की 30-40% होती है। लेकिन फिर भी उद्यमी को अपनी योजना के मुताबिक इसका आकलन करने की आवश्यकता होती है। क्योंकि इसमें लेबर कास्ट इत्यादि का भी आकलन करना जरुरी है।

स्थिर लागतें या उपरी खर्चे (Fixed Cost)

  • स्थिर लागतें या उपरी खर्चे वे खर्चे होते हैं जो कच्चा माल या लेबर लागत से भिन्न होते हैं इनमें निम्नलिखित खर्चे शामिल हैं।
  • इनमें रेस्टोरेंट का किराया शामिल है हालांकि किराया लोकेशन एवं शहर के आधार पर अलग अलग हो सकता है। लेकिन एक आदर्श किराया रेस्टोरेंट के कुल रेवेन्यु के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • रेस्टोरेंट का इंटीरियर कैसा होगा इसका निर्णय उद्यमी अपने बिजनेस के प्रकार एवं रेस्टोरेंट थीम के आधार पर ले सकता है।
  • रेस्टोरेंट के लिए उपयुक्त किचन उपकरण की खरीदारी उद्यमी के जेब को ढीला कर सकती है। लेकिन चूँकि अधिक्तरण उपकरण स्टेनलेस स्टील से निर्मित होते हैं इसलिए इनकी कीमत तो अधिक होती है लेकिन ये चलते भी लम्बे हैं। इसलिए लम्बे समय में ये अपनी लागत रिकवर कर लेते हैं।
  • चूँकि रेस्टोरेंट के लिए उद्यमी को अनेकों लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि लाइसेंस शुल्क इत्यादि बिजनेस के प्रकार पर निर्भर करेगा की उद्यमी अपने बिजनेस को किस बिजनेस एंटिटी के तहत रजिस्टर करता है।
  • बिजनेस के लिए मार्केटिंग भी जरुरी होती है। एक आंकड़े के मुताबिक रेस्टोरेंट चलाने वाले उद्यमी को अपनी कुल कमाई का लगभग 1-2% हिस्सा मार्केटिंग में खर्च करने की आवश्यकता होती है।
  • चूँकि वर्तमान में बिलिंग एवं पेमेंट प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। इसलिए उद्यमी को खर्चों का आकलन करते समय इन खर्चों को भी शामिल करना चाहिए।           

3. फण्ड का प्रबंध करें (Fund arrangement for restaurant)

बहुत सारे रेस्टोरेंट इसलिए अस्तित्व में नहीं आ पाते क्योंकि इन्हें खोलने के लिए उद्यमी की क्षमता से अधिक निवेश की आवश्यकता होती है। कहने का आशय यह है की फण्ड की कमी के चलते कई उद्यमी अपने रेस्टोरेंट खोलने के सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। इसलिए निवेश एक रेस्टोरेंट खोलने के लिए बेहद महत्वपूर्ण कारक है।

रेस्टोरेंट के प्रकार के आधार पर उद्यमी को उसके रेस्टोरेंट खोलने में आने वाले खर्चे का प्रबंध करने की आवश्यकता होती है । जब उद्यमी के पास लगने वाले निवेश का आंकड़ा आ जाता है तो वह फण्ड जुटाने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपना सकता है।

  • यदि उद्यमी के पास उसके बैंक में इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत के बराबर या उससे अधिक पैसा है। तो उद्यमी की रेस्टोरेंट खोलने में आने वाली पहली कठिनाई लगभग दूर हो गई है। हालांकि जोखिम कम करने के लिए उद्यमी चाहे तो पार्टनरशिप में भी यह बिजनेस शुरू कर सकता है।
  • यदि उद्यमी के पास पर्याप्त मात्रा में बैंक में पैसा नहीं है तो वह बैंक से ऋण लेने के लिए आवेदन कर सकता है। यद्यपि बैंक से ऋण लेने में उद्यमी को काफी परेशानी हो सकती है। क्योंकि ऋण देने के लिए बैंक बंधक में कुछ प्रॉपर्टी या जेवर या फिर कोई व्यक्ति जो उस ऋण की जिम्मेदारी ले की तलाश में रहते हैं।
  • हालांकि शुरूआती दौर में फंडिंग के लिए निवेशकों को पाना बेहद कठिन हो सकता है लेकिन यदि उद्यमी के पास उसके Restaurant Business का एक प्रभावी बिजनेस प्लान है। तो वह Capital Venture या Angel Investor की तलाश कर सकता है।           

4. लोकेशन का निर्णय लें (Select Location For Your Restaurant)

जब हम रेस्टोरेंट शुरू करने के बारे में बात कर रहे होते हैं तो उसकी लोकेशन पर भी बात करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। यह इसलिए क्योंकि आम तौर पर लोकेशन इस तरह के बिजनेस की सफलता एवं असफलता में महत्वपूर्ण योगदान देती है। जब उद्यमी अपने बिजनेस के लिए लोकेशन का चुनाव कर रहा होता है तो उस क्षेत्र में पहले प्रतिस्पर्धा का आकलन, और प्रतिस्पर्धी की प्रगति का आकलन एवं उनके व्यवसाय मॉडल को समझना भी बेहद जरुरी है।

प्रतिस्पर्धा का मूल्यांकन न केवल व्यंजनों में किया जाना चाहिए, बल्कि उद्यमी के प्रतियोगी अपने ग्राहकों को भोजन का कौन सा प्रकार जैसे बढ़िया भोजन, आकस्मिक भोजन इत्यादि क्या प्रदान कर रहे हैं इसका भी आकलन बेहद जरुरी है। इससे उद्यमी को कस्टमर बेस जैसे उनकी खर्च करने की क्षमता, प्राथमिकतायें, पसंदीदा भोजन इत्यादि बातें समझने में मदद मिलेगी। ध्यान रहे इस व्यापार के लिए एक ऐसी लोकेशन का चयन किया जाना बेहद जरुरी है जहाँ पर ग्राहक आसानी से देख और पहुँच सकें ।

रेस्टोरेंट के लिए आम तौर पर ग्राउंड फ्लोर ही उपयुक्त रहता है। वह इसलिए क्योंकि जो रेस्टोरेंट सड़क के किनारे या ग्राउंड फ्लोर पर उपलब्ध नहीं होते, ग्राहकों को उन्हें ढूंढने में परेशानी आती है। इसके अलावा लोकेशन ऐसी होनी चाहिए जहाँ पर उद्यमी के अगल बगल वाले या पडोसी उसे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने में आनाकानी न करें। क्योंकि इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए इसकी आवश्यकता हो सकती है।         

5. रेस्टोरेंट बिजनेस के लिए लाइसेंस एवं परमिशन लें

उद्यमी को भारत में Restaurant Business शुरू करने के लिए सरकार से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि ये लाइसेंस लेने के लिए उद्यमी को उसके उद्यम के आधार पर अलग अलग शुल्क देने की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह के व्यवसाय को शुरू करने में निम्नलिखित लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।

  • नगर निगम प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है जिसका शुल्क 5000 से दस हज़ार रूपये होता है। यह लाइसेंस एक साल के लिए मान्य होता है और इसे फिर से रिन्यू कराने की आवश्यकता हो सकती है।
  • इसके अलावा उद्यमी को फूड सेफ्टी अथॉरिटी से फ़ूड लाइसेंस लेने की भी आवश्यकता होती है, जिसे उद्यमी ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकता है।
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता होती है इसे भी ऑनलाइन आसानी से आवेदन किया जा सकता है।
  • उद्यमी को अपने कर्मचारियों का टैक्स काटने के लिए TAN एवं Professional Tax License की भी आवश्यकता हो सकती है ।
  • यदि उद्यमी अपने रेस्टोरेंट में बार इत्यादि की भी व्यवस्था करना चाहता है तो उसे लिकर लाइसेंस की भी आवश्यकता होगी । चूँकि इसे मिलने में थोड़ा समय लगता है इसलिए उद्यमी को इसके लिए पहले ही आवेदन कर देना चाहिए।
  • बिजनेस रजिस्ट्रेशन के तौर पर उद्यमी अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप इत्यादि के तहत रजिस्टर करा सकता है । इसके अलावा उद्यमी चाहे तो उद्योग आधार के तहत भी अपने बिजनेस को रजिस्टर करा सकता है । इसके अलावा कई राज्यों में फायर सेफ्टी लाइसेंस एवं पोल्यूशन लाइसेंस की भी आवश्यकता हो सकती है।        

6. कर्मचारियों की नियुक्ति करें (Appoint Staff for Restaurant)

सही प्रतिभा वाले कर्मचारियों को नियुक्त करना और उन्हें लम्बे समय तक काम पर बनाये रखना इस Restaurant Business में एक बहुत बड़ी चुनौती है। यदि आप किसी रेफेरल के तहत कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं तो यह भी एक अच्छा विचार होता है क्योंकि इसमें लोग अपने सगे, सम्बन्धियों एवं परिवार वालों का उल्लेख करते हैं ।

यद्यपि शुरूआती दौर में उद्यमी पारम्परिक तरीकों से ही कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकता है। इसके लिए उद्यमी स्थानीय अख़बार में विज्ञापन देकर उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुला सकता है। इसके अलावा उद्यमी फेसबुक एवं लिंक्डइन पर भी विज्ञापन करके उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुला सकता है । रेस्टोरेंट के लिए उद्यमी को मुख्य तौर पर तीन प्रकार के स्टाफ की आवश्यकता होती है जो निम्न हैं ।

  • किचन स्टाफ में उद्यमी को कुक, खाना तैयार करने वाला स्टाफ, सपोर्ट स्टाफ एवं अकुशल मजदूरों की आवश्यकता हो सकती है।
  • सर्विस स्टाफ के तौर पर वेटर, हाउसकीपिंग स्टाफ, बस बॉयज इत्यादि होते हैं चूँकि इन्हें ग्राहकों के साथ संवाद करने की आवश्यकता होती है । इसलिए इनमे कम्युनिकेशन स्किल अच्छा होना चाहिए।
  • मैनेजमेंट स्टाफ के तौर पर रेस्टोरेंट मेनेजर, सेफ, केशियर, स्टोर मेनेजर एवं अन्य स्टाफ आता है चूँकि इन्हें सम्पूर्ण प्रबंधन देखना होता है। इसलिए इनका पर्याप्त मात्रा में शिक्षित होना अति आवश्यक है।       

7. मेनू डिजाईन (Design Menu for Restaurant Business)

इसके लिए मेनू डिजाईन करना भी बेहद महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि इसका डिजाईन करते वक्त उद्यमी को अनेक बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। उद्यमी को मेनू में वे आइटम शामिल करने चाहिए जिन्हें वह ग्राहकों को जल्दी से प्रदान कर सके और जिनको बनाने में इस्तेमाल में होने वाली सामग्री हमेशा आसानी से उपलब्ध रहे।

उद्यमी को मेनू में ऐसे सामग्री से बनी आइटम को तबज्जो देनी चाहिए जिनको ग्राहक भी पसंद करते हों और इनसे कचरा भी कम जनरेट होता हो।  अर्थात इनका अधिकांश भाग इस्तेमाल में लाया जा सके। मेनू को इस तरह से डिजाईन किया जाना चाहिए ताकि उद्यमी अधिक खर्च करने की ओर प्रोत्साहित हो सके। इसके लिए उद्यमी किसी विशेषज्ञ सेफ की मदद ले सकता है।     

8. वेंडर एवं सप्लायर निर्धारित करें (Vendor & supplier for restaurant)

रेस्टोरेंट के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए वेंडर एवं सप्लायर के साथ बेहद अच्छी बिजनेस रिलेशनशिप बेहद जरुरी है। उद्यमी के पास हर श्रेणी से सम्बंधित कम से कम दो से तीन वेंडर होने चाहिए। उद्यमी के पास यदि एक ही श्रेणी के दो तीन वेंडर होंगे तो वह कीमतों का तुलनात्मक अंतर कर पाने में सक्षम होगा और यदि एक के साथ कुछ समस्या आती है तो वह अन्य को बैकअप के तौर पर इस्तेमाल में ला सकता है।

आपातकालीन स्थितियों से निबटने के लिए उद्यमी के पास कम से कम दो दिनों का स्टॉक होना नितांत आवश्यक है। किचन इत्यादि को स्टोर रूम से आइटम हर दिन सुबह सुबह वितरित किये जाने चाहिए और स्टॉक का आकलन करना चाहिए। यद्यपि वेंडर के साथ लम्बे समय के लिए एग्रीमेंट करना बेहतर होता है क्योंकि इससे उद्यमी कीमतों में होने वाले परिवर्तनों से बचा रहता है। यद्यपि उद्यमी जिससे यह अनुबंध कर रहा हो उसके वैधानिक दस्तावेज एवं ट्रेड आइडेंटिफिकेशन नंबर इत्यादि चेक करने चाहिए। 

यद्यपि देखा जाय तो एक रेस्टोरेंट खोलकर उसे सफलतापूर्वक चलाना एक बेहद ही चुनौती से भरा कार्य है। लेकिन फिर भी भारत में Restaurant Business शुरू करने का विचार एक उत्कृष्ट विचार है।  

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