बाल्टी बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें? Plastic Bucket Manufacturing Business.

Plastic Bucket यानिकी प्लास्टिक की बाल्टी से भला कौन परिचित नहीं होगा, जी हाँ आपके घरों में भी एक नहीं बल्कि अनेकों प्लास्टिक की बाल्टियाँ इस्तेमाल में लायी जाती होगीं। और आप खुद भी अपने  दैनिक जीवन में प्लास्टिक की बाल्टी का कई बार इस्तेमाल करते होंगे तो क्या कभी आपने सोचा है की इनका निर्माण कैसे किया जाता है? और यदि आप भी इस तरह का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आप यह कैसे शुरू कर सकते हैं?

शायद नहीं तो आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से Plastic Bucket Manufacturing Business के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं। यह इसलिए भी जरुरी हो जाता है क्योंकि प्लास्टिक की बाल्टी घरों, होटलों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों इत्यादि में इस्तेमाल में लायी जाने वाली एक आम वस्तु है। कहने का आशय यह है की इस घरेलू आइटम का इस्तेमाल बड़ा व्यापक है इसलिए हो सकता है की जो उद्यमी इसके निर्माण का कार्य करे उसे इस उत्पाद को बेचने के लिए अधिक मार्केटिंग की आवश्यकता न हो।

इसके अलावा Plastic Bucket Manufacturing Business शुरू करने का एक फायदा यह भी है की उद्यमी बिना किसी ब्रांड नाम के भी इस उत्पाद को बेच सकता है इसका मुख्य कारण यह है की जब ग्राहक प्लास्टिक की बाल्टी खरीदने जाते हैं तो वे किसी विशेष ब्रांड का नाम नहीं लेते बल्कि बाल्टी की मोटाई, फ्लेक्सिबिलिटी इत्यादि देखकर ही उसकी मजबूती का अंदाजा लगाकर उसे खरीद लेते हैं।

कहने का आशय यह है की इस उत्पाद के निर्माण में अभी तक ग्राहकों के पास कोई ऐसा विश्वसनीय नाम नहीं है जिसका नाम लेकर वे इस उत्पाद को बाजार से खरीदते हैं। इसलिए उद्यमी को अपनी इकाई द्वारा उत्पादित प्लास्टिक की बाल्टी बेचने में बहुत अधिक कठिनाई आने की संभावना नहीं है।

plastic bucket manufacturing business

प्लास्टिक की बाल्टी क्या होती हैं (What are Plastic Bucket):

वर्तमान जीवनशैली में प्लास्टिक की बाल्टियों का अहम् योगदान है क्योंकि वर्तमान में बाथरूम में नहाने, पानी भरने, नल इत्यादि से पानी लाने और अन्य कई कार्यों के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है की किसी भी भारतीय घर में वर्तमान में एक से अधिक प्लास्टिक की बाल्टियाँ देखने को मिल जाती हैं। बाल्टी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के थर्माप्लास्टिक सामग्री जैसे पीपी होमोपोलिमर, रीसाइकल्ड पीपी इत्यादि को इस्तेमाल में लाया जाता है।

Plastic Bucket के हल्के वजन, लचीलेपन, संक्षारण प्रतिरोध और रासायनिक प्रतिरोध ने इन प्लास्टिक उत्पादों को पानी, पेट्रोल, डीजल आदि के भंडारण और हैंडलिंग के लिए भी बेहद लोकप्रिय बना दिया है। और वर्तमान में प्लास्टिक की बाल्टियाँ अलग अलग क्षमता जैसे 10 L, 15 L और 20 लीटर में बनाई जाती हैं।

इस्तेमाल और बिक्री संभावना

बाल्टी की यदि हम बात करें तो यह एक पारम्परिक बर्तन है जिसका इस्तेमाल प्राचीनकाल से ही विभिन्न कार्यों के लिए घरों में किया जाता रहा है। हालांकि प्राचीनकाल में अनेकों धातु जैसे लोहे, तांबा, कांसा इत्यादि से भी बाल्टियाँ बनाई जाती थी और इनका इस्तेमाल भी किया जाता था लेकिन वर्तमान जीवनशैली में ये फिट नहीं बैठते हैं। इसलिए वर्तमान में इन सबका स्थान Plastic Bucket ने ले लिया है क्योंकि प्लास्टिक की बाल्टी भी उपयोग में मजबूत, खुरदरी और सख्त होती है।

इसके अलावा नमकीन पानी इत्यादि के कारण धातु से निर्मित बाल्टी पर जंग भी लग सकता है जबकि प्लास्टिक की बाल्टी इस खतरे से मुक्त है। शायद यही कारण है की इस तरह की इन बाल्टियों की मांग न सिर्फ घरेलु इस्तेमाल के लिए बढ़ी हैं बल्कि वर्तमान में विभिन्न उद्योगों द्वारा भी इनका व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

और वर्तमान में इस उत्पाद की मांग न सिर्फ शहरी क्षेत्रों में है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है इन सबके बावजूद प्लास्टिक की बाल्टी आज एक बुनियादी घरेलू उत्पाद बन गई है। जिसके बिना किसी को भी अपना जीवन कठिन लग सकता है यही कारण है की इसकी मांग शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लगातार बढती जा रही है।

बाल्टी निर्माण बिजनेस कैसे शुरू करें? (How to Start Plastic Bucket Manufacturing Business):

Plastic Bucket Manufacturing Business शुरू करने के लिए भी उद्यमी को वे सभी प्रक्रियाएं पूर्ण करनी होती हैं जो किसी अन्य विनिर्माण बिजनेस को शुरू करने के लिए करनी पड़ सकती हैं। इसमें उद्यमी को इकाई स्थापित करने के लिए भूमि अधिग्रहण से लेकर प्लांट और मशीनरी की खरीदारी उनकी इंस्टालेशन, वित्त का प्रबंध, उपयुक्त कौशलयुक्त कर्मचारियों का प्रबंध, बिजली पानी इत्यादि का प्रबंध करने की आवश्यकता होती है।

जिसमें उद्यमी को 5-6 महीनों तक का समय लग सकता है। तो आये जानते हैं की प्लास्टिक की बाल्टी निर्माण का व्यवसाय स्थापित करने के लिए उद्यमी को क्या क्या कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है।

1. जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध:

Plastic Bucket Manufacturing शुरू करने के लिए भी उद्यमी को जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करने की आवश्यकता होती है यदि उद्यमी के पास स्वयं की जमीन हो तो वह वहां पर निर्माण कार्य शुरू करके इस तरह की इकाई स्थापित कर सकता है। बशर्ते की जमीन गैर कृषि योग्य जमीन (यानिकी जिसमें कृषि नहीं की जा रही हो) हो । लेकिन यदि उद्यमी के पास स्वयं की कोई जमीन नहीं है तो उद्यमी को कोई बनी बनाई बिल्डिंग ही इस कार्य के लिए किराये पर ले लेनी चाहिए।

अब सवाल यह उठता है की उद्यमी को कम से कम कितनी जगह की आवश्यकता हो सकती है तो यहाँ पर स्पष्ट कर देना चाहेंगे की इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमी को विनिर्माण स्थल के अलावा, बिजली उपयोगिताओं के लिए जगह, और एक छोटा सा ऑफिस स्थापित करने के लिए भी जगह की आवश्यकता होती है इस प्रकार से उद्यमी को छोटे सेटअप के लिए भी 800-1000 स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

इस व्यवसाय के लिए यह भी जरुरी नहीं है की उद्यमी किसी स्थानीय बाजार में ही जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करे बल्कि उद्यमी चाहे तो जहाँ उसे सस्ते दाम में जमीन और बिल्डिंग किराये पर मिल रही हो वह वहीँ से इस तरह का यह व्यवसाय शुरू कर सकता है।    

2. वित्त का प्रबंध (Arrange Fund for Plastic Bucket Manufacturing):

Plastic Bucket Manufacturing Business शुरू करने वाला उद्यमी तभी वित्त का प्रबंध कर पायेगा जब वह यह जन पायेगा की उसके व्यवसाय को शुरू करने में कुल लागत कितनी आएगी। यह जानने के लिए उद्यमी को एक प्रभावी बिजनेस प्लान या फिर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी होगी ये दस्तावेज उद्यमी को न सिर्फ उसके व्यवसाय को शुरू करने में आने वाली लागत से अवगत कराएँगे, बल्कि अगले कुछ सालों के लिए व्यवसाय की दशोदिशा भी निर्धारित करेंगे और इन निश्चित वर्षों में उद्यमी का बिजनेस कहाँ तक पहुंचेगा और कैसे पहुंचेगा ये भी अनुमान लगाया जा सकेगा।

इसके अलावा प्रोजेक्ट रिपोर्ट बैंक से ऋण इत्यादि लेने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वित्त का प्रबंध करने से पहले यह जान ले की उसके व्यवसाय को शुरू करने में अनुमानित लागत क्या आने वाली है। उद्यमी चाहे तो सरकारी योजनाओं के सब्सिडी ऋण, बैंक ऋण और अपनी व्यक्तिगत बचत इत्यादि माध्यमों से वित्त का प्रबंध कर सकता है।     

3. आवश्यक लाइसेंस और पंजीकरण

उद्यमी अपने Plastic Bucket Manufacturing Business को प्रोप्राइटरशिप या फिर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर भी रजिस्टर करा सकता है।फर्क इतना है की जहाँ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेकों औपचारिकताओं से होकर गुजरना पड़ेगा वहीँ प्रोप्राइटरशिप के तहत रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जायेगा। इसके अलावा उद्यमी को टैक्स रजिस्ट्रेशन के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता होगी और ट्रेड या फैक्ट्री लाइसेंस के लिए स्थानीय प्राधिकरण से संपर्क करने की आवश्यकता हो सकती है।

फायर और पोल्यूशन डिपार्टमेंट से नों ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की भी आवश्यकता हो सकती है। यदि उद्यमी चाहता है की उसकी इकाई को एमएसएमई के तौर पर पहचान मिले तो वह उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन भी करा सकता है।     

4. मशीनरी उपकरण और कच्चा माल

Plastic Bucket Manufacturing Business में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी, उपकरणों और कच्चे माल की कीमत कई लाखों रुपयों में हो सकती है। अर्थात इस मद पर उद्यमी को कई लाख रूपये एक साथ खर्च करने पड़ सकते हैं इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह सप्लायर का चुनाव बेहद सोच समझकर करे। उद्यमी चाहे तो विभिन्न सप्लायर से कोटेशन मंगाकर उनका तुलनात्मक विश्लेषण करने के बाद किसी अच्छे सप्लायर का चुनाव कर सकता है। कुछ प्रमुख मशीनरी उपकरणों की लिस्ट निम्नवत है।

  • इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन
  • एयर कंप्रेसर
  • कुलिंग टावर
  • स्क्रैप ग्राइंडर
  • ड्राई कलर मिक्सर
  • मैन्युअल क्रेन
  • मोल्ड कास्ट
  • अन्य उपकरण और हैण्ड टूल्स   

Plastic Bucket Manufacturing Business में इस्तेमाल में लाये जाने वाले प्रमुख कच्चे माल की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी ग्रेन्युँल्स)
  • रंग वर्णक (Colourant)
  • मेटल हैंडल     

5. प्लास्टिक बाल्टी बनाने की प्रक्रिया (Start Manufacturing Process of Plastic Bucket):   

इंजेक्शन मोल्डिंग प्रक्रिया के माध्यम से Plastic Bucket Manufacturing शुरू करने के लिए सबसे पहले पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी ग्रेन्युँल्स) को मशीन के हॉपर में डाला जाता है। और मशीन द्वारा इन कणिकाओं को गरम करके प्लास्टिसाइड कर दिया जाता है और फिर इस तरल को एक ठंडी मोल्ड में प्रेस करके इंजेक्ट कर दिया जाता है जहाँ यह मोल्ड के हिसाब से उत्पादों के रूप में सेट हो जाता है और फिर उत्पादों को बाहर निकाल दिया जाता है।

  • प्लास्टिक के दानों पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी ग्रेन्युँल्स) को मशीन के हॉपर में डाला जाता है जहाँ इन्हें एक्सट्रूडर के ताप और दबाव के अधीन कर दिया जाता है।
  • एक्सट्रूडर में ताप के कारण अर्ध पिघला हुआ प्लास्टिक एक नोजल से होकर गुजरता है नोजल की दीवारों की मोटाई के लिए मशीन में एडजस्टमेंट की जाती है।
  • उसके बाद उपयुक्त नोजल या फिर परिसन को मोल्ड में डाल दिया जाता है उसके बाद नोजल में हवा का प्रवाह जारी किया जाता है ताकि पिघला हुआ प्लास्टिक मोल्ड साइड के खिलाफ जाने पर मजबूर हो जाए।
  • उसके बाद जब Plastic Bucket आकार ले लेती है तो मोल्ड को ठंडा किया जाता है और उत्पाद को बाहर निकाल लिया जाता है। उसके बाद उत्पाद को ट्रिम किया जाता है और इस प्रकार उत्पाद बेचने के लिए तैयार हो जाता है। 

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