प्रबंधन (Management) क्या है? प्रबंधन के प्रमुख कार्य।

किसी संगठन या कंपनी का कार्यस्थल प्रबंधन यानिकी Management के पदों पर बैठे लोगों की शक्ति पर निर्भर करता है । क्योंकि प्रबंधक ही होते हैं, जो कर्मचारियों को किसी काम को करने के लिए निर्देशित करते हैं और वह काम कितना हुआ कहाँ तक पहुँचा इसके बारे में वरिष्ठ पेशेवरों को सूचना भी देते हैं। हालांकि Management के कार्य एवं ज़िम्मेदारियाँ कंपनी, बिजनेस की प्रकृति एवं कार्यस्थल के आधार पर अलग अलग होते हैं । लेकिन प्रबंधकों की अधिकांश बुनियादी ज़िम्मेदारियाँ सभी संगठनों एवं कंपनियों में एक सी हो सकती हैं।

वैसे देखा जाय तो एक व्यवस्थित जीवन चलाने के लिए और सभी प्रकार के प्रबंधन को संचालित करने के लिए Management बहुत आवश्यक होता है। इसलिए कहा जाता है की सफल प्रबंधन वाले संगठन अधिक तरक्की करते हैं, क्योंकि सफल संगठन ही उनकी रीढ़ होता है। प्रबंधन केवल संगठन एवं कंपनियों में नहीं होता है, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी प्रबंधन अहम् भूमिका निभाता है।

जीवन में प्रबंधन जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मददगार साबित होता है। और किसी संगठन या कंपनी में प्रबंधन उनके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अन्य लोगों के साथ काम करने प्रक्रिया है। इसलिए इस लेख में आगे हम यही जानने की कोशिश करेंगे की Management क्या होता है? इसके प्रमुख कार्य क्या हैं? और कैसे कोई एक अच्छा प्रबंधक बन सकता है।

management kya hai

प्रबंधन (Management) क्या है

Management किसी संगठन के विभिन्न लक्ष्यों जैसे प्लानिंग, निर्णय लेने की शक्ति, संगठित करने की क्षमता, नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता, प्रोत्साहित करने की क्षमता, कर्मचारियों को नियंत्रित करने की क्षमता, वित्तीय, भौतिक और सूचना संसाधनों का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से उपयोग करने की एक प्रक्रिया है।

कहने का आशय यह है की प्रबंधन संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न संसाधनों जैसे वित्तीय, भौतिक, सूचना संसाधनों को नियोजन, आयोजन, निर्देशन और नियंत्रण के माध्यम से कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से उपयोग में लाकर संगठन के लक्ष्यों तक पहुँचने की एक प्रकिया है।

प्रबंधन के प्रमुख कार्य (Functions of Management in Hindi):

वैसे देखा जाय तो Management के कार्यों की लिस्ट बेहद लम्बी हो सकती है। क्योंकि समन्वय, रिपोर्टिंग और बजट भी प्रबंधन के कार्यों में शामिल है । लेकिन यहाँ पर नीचे हम इसके प्रमुख कार्यों का वरण करने वाले हैं। तो आईये जानते हैं की प्रबंधन के प्रमुख कार्यों में क्या क्या शामिल किया जा सकता है। जिससे की वे संगठन के लक्ष्यों को पूर्ण करने में सक्षम हो सकें।

1. प्लानिंग करना

प्लानिंग यानिकी योजना बनाने का कार्य भविष्य को ध्यान में रखकर किया जाता है। प्लानिंग भविष्य में संगठन की दिशा क्या होगी यह निर्धारित करती है। कल की प्लानिंग को करते हुए जो निर्णय आज लिए जाएँगे वे किसी कंपनी या संगठन के भविष्य को प्रभावित करेंगे। प्लानिंग के दौरान Management में दूरदर्शिता तो होनी ही चाहिए साथ में सुधारात्मक दृष्टी होनी भी आवश्यक है।

इसमें प्रबंधकों द्वारा अपने ज्ञान, कौशल और जानकारी का इस्तेमाल करके भविष्य की स्थितियों का आकलन किया जाता है, और भविष्य में आने वाले अवसरों या चुनौतियों से कैसे निबटा जाएगा इसकी प्लानिंग की जाती है। प्लानिंग करते समय पहली दशा भविष्य में चीजों का पूर्वाभास करना शामिल है।

उसके बाद ज्ञान, कौशल और जानकारी के आधार पर भविष्य में उन्हें बिना किसी बाधा के व्यवस्थित ढंग से कैसे संचालित किया जा सकता है। उसके लिए योजना बनाना शामिल है।

2. व्यवस्थित या संगठित करना

स्थितियों को व्यवस्थित और संगठित रखने के लिए प्राधिकरण की औपचारिक संरचना की आवश्यकता होती है। और इसके कार्यों को परिभाषित, व्यवस्थित और समन्वित करने के लिए भी प्राधिकरण की दिशा और प्रवाह को सुनिश्चित और निर्धारित करने की आवश्यकता होती है। यह इसलिए ताकि संगठन का प्रत्येक भाग निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एकजुट और सुसगंत तरीके से एक दुसरे से सम्बंधित रहे।

इस प्रकार से देखें तो Management को उन गतिविधियों को व्यवस्थित और संगठित रूप से जारी रखना होता है, जो गतिविधियाँ कंपनी को उसके लक्ष्यों तक पहुँचाने में मददगार होंगी। इन गतिविधियों को उचित कर्मियों को सौंपना, और इन्हें पूरा करने के लिए उन्हें आवश्यक अधिकार सौंपना भी प्रबंधन की ही जिम्मेदारी है।

3. कर्मचारियों की नियुक्ति कार्यबल को बनाये रखना

स्टाफिंग यानिकी कर्मचारियों की नियुक्ति का कार्य भी Management के प्रमुख कार्यों में शामिल है। किसी उद्यम के लिए प्रबंधकीय और गैर प्रबंधकीय दोनों स्तरों पर उपयुक्त कार्यबल को बनाये रखने के लिए लोगों को काम पर रखने और उन्हें बनाये रखने का कार्य ही स्टाफिंग कहलाता है।

स्टाफिंग के तहत Management कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण, विकास, क्षतिपूर्ति, मूल्यांकन करना, उचित प्रोत्साहन और प्रेरणा के साथ इस कार्यबल को बनाए रखने इत्यादि कार्य करते हैं। जैसा की हम सब जानते हैं की, किसी भी संगठन की सफलता के लिए मानवीय संसाधनों का अच्छा और योग्य होना आवश्यक है। इसलिए सही और योग्य कर्मियों की भर्ती करना आवश्यक है।

लोगों की यदि हम बात करें तो ये बुद्धि, ज्ञान, कौशल, अनुभव, शारीरिक स्थिति, आयु और दृष्टिकोण के मामलों में एक दुसरे से भिन्न होते हैं । इसलिए हर व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता भी अलग अलग होती है। यही कारण है की Management को आवश्यक जॉब के अनुसार उम्मीदवार का चयन करके इन्हें भर्ती करना पड़ता है । जिसमें प्रबंधन, तकनिकी और परिचालन क्षमता के अलावा सामाजिक और मनौवैज्ञानिक संरचना को समझकर भी उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है।

4. कर्मचारियों को निर्देशित करना

यद्यपि देखा जाय तो निर्देशन का कार्य नेतृत्व, संचार, प्रेरणा और पर्यवेक्षण से सम्बंधित है। Management के कार्यों में यह भी प्रमुख कार्यों में इसलिए शामिल है, क्योंकि निर्देशन के द्वारा ही संगठन के निचले स्तर तक काम पहुँचता है, जिन्हें पूरा करने के लिए हर कोई अपना योगदान देता है।

नेतृत्व के प्रमुख अवयवों में एक अवयव निर्देशन भी शामिल है जिसके तहत प्रबंधन या लीडरशिप द्वारा निर्देश जारी किये जाते हैं । और फिर इन्हें पूरा करने के लिए अधीनस्थों को जिन भी प्रक्रियाओं या विधियों से गुजरना होता है, उनमें उन्हें मार्गदर्शन देना भी प्रबंधन का ही कार्य है।

अधीनस्थों को निर्देशित करने के लिए संचार की आवश्यकता होती है, यह संचार खुला होना चाहिए ताकि अधीनस्थों को सूचित करने के साथ साथ उस पर उनकी प्रतिक्रिया को भी जाना जा सके। जो लोग मोटिवेटेड होते हैं, वे कम निर्देशन में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, इसलिए अधीनस्थों को मोटिवेट करना भी Management के कार्यों में शामिल है।

अब अंत में प्रबंधन को उन कामों का पर्यवेक्षण भी करना होता है, जिस काम के लिए उन्होंने अपने अधीनस्थों को निर्देशित किया था। इससे उन्हें अधीनस्थों की प्रगति रिपोर्ट बनाने में मदद मिलेगी और साथ में काम ठीक से हुआ या नहीं, इसकी भी जानकारी मिलेगी।

5. नियंत्रण के कार्य

नियंत्रण के कार्यों में वे कार्य शामिल होते हैं जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है की कोई भी इवेंट पूर्व व्यवस्थित योजनाओं से विचलित न हो। इस तरह की गतिविधियों में कार्य प्रदर्शन के लिए मानक स्थापित करना, प्रदर्शन को मापना, परिणामों की मानकों से तुलना करना, और किसी भी गलती को सुधारने के लिए इनमें सुधारात्मक कार्यवाही करना शामिल है। Management  के नियंत्रण से जुड़े कुछ   प्रमुख कार्य इस प्रकार से हैं।

  • प्रदर्शन के लिए मानक स्थापित करना
  • प्रदर्शन को मापना
  • प्रदर्शन के लिए स्थापित मानकों के साथ वास्तविक प्रदर्शन की तुलना करना
  • सुधारात्मक कार्यवाही करना    

उपर्युक्त बताये गए Management के सभी पांच कार्य एक दुसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। लेकिन इन्हें एक दुसरे से सम्बन्ध करना और पहचानना कठिन है। इसलिए जरुरी है की सभी कार्यों को अलग लग फोकस में रखकर पूर्ण करने की कोशिश करनी चाहिए।

एक अच्छा प्रबंधक कैसे बनें

यद्यपि कोई भी व्यक्ति अपने प्रबंधन कौशल को बढ़ाने के लिए कई तरह के तरीकों को अपना सकता है। लेकिन कुछ प्रमुख तरीके इस प्रकार से हैं।

  1. Management में वही मैनेजर तरक्की कर पाता है, जो अपनी टीम के साथ निरंतर संवाद जारी रखता है। क्योंकि संवाद के माध्यम से ही वह उनकी जरूरतों को समझ सकता है, उनकी प्रगति का मूल्यांकन कर सकता है। और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में उनकी मदद भी कर सकता है।
  2. मैनेजर को अपनी टीम के आगे एक उदाहरण स्थापित करने वाला होना चाहिए, इसके लिए उसका सकारात्मक होना जरुरी है। संवाद के दौरान सकारात्मक रहने से उसकी टीम के सदस्य उसके साथ सहज ढंग से बात करने में सक्षम हो पाएँगे।
  3. Management गतिविधियों को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए, एक मैनेजर को अपने टीम के सदस्यों के कौशल का आकलन करना चाहिए। और जब भी उसे लगे की उनमें सुधार की आवश्यकता है, तो फिर उनके लिए प्रशिक्षण नए कौशल सीखने का प्रबंध भी करना चाहिए।
  4. एक प्रबंधक को अपनी टीम के प्रति सहयोगी का भाव रखना चाहिए। क्योंकि इससे एक तरफ जहाँ प्रबंधक को कोई भी काम सौंपने में कोई झिझक नहीं होगी। वहीँ दूसरी तरह टीम के सदस्य भी मैनेजर को अपनी समस्याओं से आसानी से अवगत करा पाएँगे। यदि हो सके तो अपनी टीम के सदस्यों की व्यक्तिगत मदद करने से भी पीछे नहीं हटें।
  5. एक अच्छा और सफल मैनेजर बनने के लिए जिन कौशलों की आवश्यकता होती है। उनका अभ्यास करना मौजूदा मैनेजर के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। Management में आगे तक पहुँचना चाहते हैं तो नए नए कौशल को हासिल करना और उनका व्यवहारिक अभ्यास करना आवश्यक है। इन्हीं कौशलों की बदौलत आप अपनी नौकरी में पदोन्नति पा सकते हैं।

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