लोहार का काम कैसे शुरू करें? लोहे के उपकरण बनाने का बिजनेस।

लोहार का काम आज भी ग्रामीण इलाकों में या जहाँ कृषि की जाती है एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित किया जा सकता है। दोस्तो आज जो लोग शहरों में भी निवास करते हैं उनकी भी पृष्ठभूमि ग्रामीण ही मिलेगी वह इसलिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के चलते ही शहरों का निर्माण हुआ है। और हमें जो भी आज बड़े बड़े शहर देखने को मिलते हैं इनके आस पास भी कभी गाँव हुआ करते होंगे जो अब पूरी तरह इन शहरों में समायोजित हो चुके हैं।

लेकिन हमारे देश भारत को आज भी कृषि प्रधान देश कहा जाता है इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं की आज भी भारतवर्ष की एक बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में ही निवास करती हैं जहाँ पर कृषि या कृषि सम्बंधित क्रियाकलाप ही उनकी आजीविका का प्रमुख साधन हैं। यदि आप भी एक कृषि बाहुल क्षेत्र में रहते हैं अर्थात ऐसा क्षेत्र जहाँ पर लोग खेती का कम अधिक करते हों। तो आज हम आपको लोहार का काम शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे बेहद कम निवेश के साथ आसानी से शुरू किया जा सकता है।

और इसमें प्रयुक्त होने वाली मशीनरी एवं उपकरणों का संचालन इतना आसान होता है की कोई भी व्यक्ति इसे कुछ घंटों में आसानी से सीख सकता है। हालांकि यहाँ पर यह भी स्पष्ट कर देना चाहेंगे की पहले इस कार्य को एक जाति विशेष के काम के तौर पर देखा जाता था। लेकिन आज आज के इस सभ्य समाज में जाति, सम्प्रदाय के नाम पर भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है।

ऐसे में ग्रामीण इलाकों में जो पहले जाति के नाम पर भेदभाव किये जाते थे उनमें तेजी से कमी आनी शुरू हो गई है। और जैसे लोगों में शिक्षा, जागरूकता बढती जा रही है वैसे वैसे भेदभाव जैसी अमानवीय घटनाएँ कम होना शुरू हुई हैं। ऐसे में लोहार का काम या फिर लोहे के उपकरण बनाने के काम को किसी जाति विशेष से जोड़ना बिलकुल भी सही नहीं है। यह एक व्यवसाय है जो अपनी आजीविका चलाने के लिए किसी भी मनुष्य द्वारा किया जा सकता है ।

लोहार का काम लोहे के उपकरण बनाने का व्यवसाय

लोहार का काम क्या होता है ?

जैसा की लोहार शब्द में ही लोहा शामिल है, तो इसका स्पष्ट सा अभिप्राय यह है की एक ऐसा व्यक्ति जो लोहे या इस्पात का इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार की वस्तुएं खासकर कृषि से सम्बंधित औजार जैसे कुदाल, दराती, फावड़ा इत्यादि बनाता है उसे लोहार कहा जाता है। हालांकि यह जरुरी नहीं है की लोहार का काम करने वाला व्यक्ति केवल और केवल कृषि उपकरण ही तैयार करे। बल्कि बिल्डिंग निर्माण में कार्य में लाये जाने वाले छोटे छोटे उपकरण जैसे हथौड़ा, छेनी, सब्बल, गेंदी इत्यादि का भी निर्माण उद्यमी अपनी कार्यकुशलता के मुताबिक कर सकता है। इसी के चलते इस व्यवसाय को लोहे के उपकरण बनाने का बिजनेस भी कहा जा सकता है।

लोहे के उपकरणों की आवश्यकता

जहाँ तक लोहे के उपकरणों की आवश्यकता का सवाल है इनकी आवश्यकता खेतों में काम कराने वाले किसानों, मजदूरों एवं बिल्डिंग निर्माण में लगे मिस्त्री, मजदूरों इत्यादि को होती है। यद्यपि यहाँ पर हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं की हम यहाँ पर सभी प्रकार के लोहे के उपकरणों की बात नहीं कर रहे हैं। अपितु हम सिर्फ उन उपकरणों की बात कर रहे हैं जिन्हें हैण्ड टूल के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है और जिनका निर्माण लोहार अपनी कार्यकुशलता के अनुसार कर सकते हैं।

कृषि के कई ऐसे उपकरण हैं जिन्हें इस तरह का व्यवसाय करने वाले व्यक्ति द्वारा ही बनाया जाता है इनमें मुख्य तौर पर दराती, कुदाल, फावड़ा, कुल्हाड़ी, खुरपी इत्यादि शामिल हैं । इसके अलावा मकान इत्यादि बनाने में मदद करने वाले राज मिस्त्री एवं मजदूर भी जिन हैण्ड टूल का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों को निष्पादित करने के लिए करते हैं उनका निर्माण भी लोहार का काम करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है। इनमें हथौड़ा, छेनी, कन्नी, रंधा, आरा इत्यादि शामिल हैं। वर्तमान में ग्रामीण इलाके जो कृषि बाहुल्य हैं उनमें इस तरह के बिजनेस की अच्छी खासी मांग है।

लोहार का काम की विशेषता यह है की इसमें वह न सिर्फ नए लोहे के औजार बनाकर बेच रहा होता है बल्कि पुराने औजारों में धार लगाने एवं उनको नुकीला करने का भी काम कर रहा होता है। और यदि उसने यह काम ईमानदारी एवं अच्छे से किया तो यकीन मानिये बड़ी दूर दूर से लोग वहां अपने पुराने लोहे के औजारों को नुकीला एवं धार लगाने के लिए आते हैं। इस काम के जरिये उद्यमी किचन या अन्य कामों में इस्तेमाल में लाये जाने वाले चाकू इत्यादि का भी निर्माण कर सकता है।

लोहार का काम या लोहे के उपकरण बनाने का काम कैसे शुरू करें?

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की लोहे के हस्तचालित उपकरणों को बनाने के व्यवसाय को किसी जाति विशेष से जोड़कर देखा जाना सही नहीं है। क्योंकि यह भी अन्य कामों की तरह एक काम है जिसे करके उद्यमी स्वयं की आजीविका चला रहा होता है। लेकिन यकीन मानिये ग्रामीण इलाकों में इस काम से लोग इसलिए भी अछूते रहते हैं क्योंकि वे इस काम को कुरीतियों के चलते करना ही नहीं चाहते।

लेकिन यदि कृषि बाहुल्य क्षेत्र में लोहार का काम शुरू किया जाय, तो उद्यमी इसे एक फैक्ट्री के रूप में भी संचालित कर सकता है इसमें उद्यमी को विभिन्न लोगों को लोहे के औजार बनाने एवं पुराने औजारों पर धार लगाने उन्हें नुकीला बनाने की जिम्मेदारी देनी होती है। धार लगाने जैसी प्रक्रियाओं को अंजाम देने के लिए बाजार में छोटी छोटी मशीन भी उपलब्ध हैं, इसलिए उद्यमी इस व्यवसाय को बेहद कम निवेश के साथ भी आसानी से शुरू कर सकता है। तो आइये जानते हैं की कैसे?

1. स्थानीय स्तर पर मांग का पता लगायें

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की लोहार का काम शुरू करने के लिए उपयुक्त लोकेशन कृषि बाहुल्य क्षेत्र ही हो सकता है। शायद वह इसलिए क्योंकि लोहार के काम में उद्यमी लोहे के ऐसे उपकरण बना रहा होता है जिनका इस्तेमाल कृषि उपकरण के तौर पर किसानों या खेतों में काम करने वाले मजदूरों द्वारा किया जाता है। इस व्यवसाय में उद्यमी लोहे के उपकरण बनाकर तो बेच ही रहा होता है साथ में जिन लोहे के औजारों की धार कुंद हो गई हो और उनसे कार्य करने में कठिनाई आ रही हो लोग उनकी धार तेज करने के लिए भी लोहार के पास ही आते हैं।

इसलिए कृषि बाहुल्य क्षेत्र में लोहार का काम करके भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है। वर्तमान परिदृश्य की यदि हम बात करें तो कुंद धार को तेज करने के लिए अलग अलग लोहे के औजारों के अलग अलग रेट होते हैं । लेकिन दराती, कुदाल इत्यादि जिन्हें नया ही मात्र 100-110 रूपये में ख़रीदा जा सकता है इनकी धार कुंद होने पर इनकी कीमत का लगभग 30% लिया जाता है। यानिकी लगभग 30-32 रूपये इनकी कुंद धार को तेज करने के लिए जाते हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कृषि बाहुल्य क्षेत्र में इस तरह का यह व्यवसाय कितना लाभकारी हो सकता है।        

2. लोहार का काम करने के लिए जगह का प्रबंध करें

वैसे देखा जाय तो इस काम को करने के लिए 10×10 का एक कमरा एवं बाहर आँगन में कुछ जगह पर्याप्त है। चूँकि इस व्यवसाय में उद्यमी को आग का काम करना होता है इसलिए जगह में निर्माण या प्रबंध कुछ इस तरह से किया जाना चाहिए की अग्नि का कोई भी दुष्प्रभाव से बचा जा सके। यद्यपि इस तरह के व्यवसाय को किसी मार्किट में ही होना जरुरी नहीं है लेकिन यदि कृषि बाहुल्य क्षेत्र के स्थानीय मार्किट में यह हो तो उद्यमी को बनाये गए नए लोहे के औजार बेचने में आसानी होगी। यदि जगह किराये पर ली जा रही हो तो उसका रेंट एग्रीमेंट इत्यादि अवश्य बनायें।   

3. दो तीन मजदूरों को काम पर रखें

लोहार का काम कोई आसान काम नहीं है इसमें को दो राय नहीं है हालांकि वर्तमान में जिस चूल्हे में कोयले जल रहे हों। उन्हें समय समय पर हवा देने के लिए छोटी सी मशीन के उसके समीप इंस्टाल की जा सकती है लेकिन ग्राम लोहे को ढांचा देने के लिए गर्म लोहे पर हथौड़े से चोट करने की आवश्यकता होती है ताकि लोहा उसी आकार में ढल जाए जिस आकार में लोहार उसे ढालना चाहता हो।

इसलिए यदि उद्यमी को लगता है की वह शारीरिक रूप से इस तरह का यह कार्य करने के लिए फिट एवं इच्छुक है, तो वह यह खुद भी कर सकता है। अन्यथा वह चाहे तो लोहार का काम करने के लिए दो तीन मजदूर भी नियुक्त कर सकता है और केवल एक भट्टी से नहीं बल्कि दो तीन भट्टी के माध्यम से लोहे के औजार बनाना शुरू कर सकता है।    

4. मशीनरी उपकरण एवं कच्चे माल का प्रबंध

इस तरह का यह व्यवसाय यानिकी लोहार का काम करने के लिए उद्यमी को मशीनरी के तौर पर भट्टी को हवा प्रदान करने वाली मशीन, औजारों पर धार लगाने वाली मशीन, गर्म लोहे पर छेद करने वाला उपकरण, गर्म लोहे को काटने वाला उपकरण, हथौड़े, लोहे का आधार इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है।

जिन्हें बीस तीस हज़ार रुपयों का निवेश करके आसानी से ख़रीदा जा सकता है जहाँ तक कच्चे माल का सवाल है कच्चे माल के तौर पर उद्यमी कोयलों या सूखे लकड़ी की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि भट्टी में कोयलों या लकड़ी को जलाकर ही लोहे को गर्म किया जायेगा और फिर उसे मनचाहे आकार में ढाला जायेगा या फिर उसकी कुंद धार को तेज कर दिया जायेगा।   

5. लोहे के औजार बनायें और कमायें 

अब यदि उद्यमी ने लोहार का काम शुरू करने के लिए सभी कार्य कर लिए हों तो वह स्थानीय नियम कानूनों के बारे में पता करे और जरुरी हो तो स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस लेकर खुद का व्यवसाय शुरू करे। वैसे बता दें की  वर्तमान में लोहार का काम करने के लिए किसी प्रकार के लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता नहीं है। यदि उद्यमी ने अपना व्यवसाय किसी कृषि बाहुल्य क्षेत्र में शुरू किया है, तो उसका व्यवसाय बहुत जल्दी एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में परिवर्तित हो जायेगा।

वह इसलिए क्योंकि कृषि उपकरणों को एक सीजन की कृषि के बाद उनकी कुंद धार को तेज करने की आवश्यकता होती है, और उद्यमी नए औजारों को बेचने के अलावा धारहीन औजारों पर धार चढाने का भी कार्य कर रहा होता है। इसलिए इस बिजनेस यानिकी लोहार का काम करके कोई भी इच्छुक उद्यमी सही से कमाई कर पाने में सक्षम हो पायेगा।     

अन्य लेख भी पढ़ें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *