खुद का बिजनेस कैसे शुरू करें। 12 आसान कदम।

मनुष्य को अपनी आजीविका चलाने के लिए कुछ न कुछ काम धंधा करने की आवश्यकता होती है। खुद का बिजनेस कैसे शुरू करें? का सवाल भी उन्हीं युवाओं के मष्तिष्क में कौंधता है। जिनमें खुद का व्यवसाय करने की ईच्छा समायी हुई होती है। वैसे आज के परिदृश्य में हम अपने आस पास जितने भी व्यवसाय देखते हैं।

उनकी उत्पति कोई रातों रात नहीं हो गई। कहने का आशय यह है की कॉर्पोरेट दिग्गज कोई रातों रात पैदा नहीं होते हैं। जो आज दिग्गज हैं, उनकी भी शुरुआत किसी ने छोटे ही स्तर से की होगी। खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए अच्छी योजना, परिकल्पना, स्पष्ट दृष्टिकोण और उचित मात्रा में फण्ड की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा किसी भी व्यवसाय को उसकी विशिष्टता, समर्पण और श्रेष्ठ सेवा उसे बड़ा बनाने और पोषित करने में सहायक सिद्ध होती है। यदि उद्यमी अपने ग्राहकों को गुणवत्तायुक्त सर्विस या प्रोडक्ट प्रदान करता है, तो उसके साथ लम्बे समय तक उसके ग्राहक बने रह सकते हैं।

मार्केटिंग ब्रांडिंग भी किसी व्यवसाय की प्रतिष्ठा को बरक़रार रखने में सहायक सिद्ध होती हैं। लेकिन यहाँ पर सवाल व्यवसायिक प्रतिष्ठा को बरकरार रखने का नहीं, बल्कि कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का बिजनेस कैसे शुरू कर सकता है, का है। तो आगे इस लेख में हम ऐसे ही कुछ स्टेप के बारे में जानेंगे, जो किसी इच्छुक व्यक्ति को खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए उठाने पड़ सकते हैं।  

खुद का बिजनेस कैसे शुरू कर सकते हैं

पूरा लेख एक नजर में

ऐसे करें खुद का बिजनेस

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की, आज के समय में भले ही कोई कितना भी बड़ा कॉर्पोरेट दिग्गज क्यों न हो। लेकिन कभी न कभी वह भी एक छोटा व्यवसायी था, अर्थात किसी भी बिजनेस की शुरुआत छोटे से ही होती है।

इसलिए ऐसा कोई भी व्यक्ति जो खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता है, उसे शुरुआत हमेशा छोटे से ही करनी चाहिए। वैसे तो कोई यूनिक और विशिष्ट आईडिया को छोटे स्तर पर शुरुआत करने में भी अधिक दिक्कत नहीं आती, लेकिन उसके बाद इस तरह के व्यवसाय को ग्रो करने के लिए बेहद कम समय में किसी निवेशक की आवश्यकता पड़ सकती है।

1. खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए आईडिया का चयन करें

यदि आप खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो यह तो स्वभाविक है, की आपको पहले यह तय करना होगा की, आखिर आप कौन सा बिजनेस करना चाहते हैं। आप चाहें तो एमएसएमई की आधिकारिक वेबसाइट से भी अपने लिए बिजनेस आईडिया का चुनाव कर सकते हैं।

वैसे यदि आप कोई ऐसा बिजनेस करने की सोचें, जिसमें न सिर्फ आपकी रूचि हो, बल्कि उस काम का आपको उचित एवं सही ज्ञान भी हो। तो आपके उस व्यवसाय की सफलता की संभावना अधिक हो जाती है। एमएसएमई सेक्टर के उत्थान के लिए न सिर्फ केंद्र सरकार, बल्कि राज्य सरकारें भी अथक परिश्रम कर रही हैं।

खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए अपनाया गया आपका बिजनेस आईडिया यदि यूनिक और विशिष्ट हो, तो बेहद कम समय में वह आसमान की बुलन्दियाँ छू सकता है। क्योंकि ऐसे व्यवसाय को ग्राहकों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है। और यही कारण है की, इसके लिए निवेशक आसानी से, और बड़ी जल्दी मिल जाते हैं।

2. चयनित बिजनेस को करने के लिए उचित प्रशिक्षण एवं अनुभव प्राप्त करें

वैसे यदि पहले ही खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए जिस बिजनेस आईडिया का चुनाव किया जा रहा है, यदि उसे अपनी योग्यता, कुशलता, अनुभव को ध्यान में रखकर चुना जाय, तो बेहद अच्छा रहता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसे तरह तरह के कपड़े सिलना आता है, वह अपनी खुद की टेलरिंग की दुकान खोलने की सोच सकता है। और इसके लिए उसे किसी प्रकार के प्रशिक्षण की भी आवश्यकता नहीं होगी।

लेकिन यदि वही व्यक्ति कपड़े का काम न शुरू करके कुछ और व्यवसाय करने की सोच रहा है, तो उसे उसका प्रशिक्षण एवं अनुभव प्राप्त करने की भी आवश्यकता होगी। कहने का आशय यह है की, खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए आपने जिस भी व्यवसाय का चुनाव किया हो, यदि उसकी उचित जानकारी और अनुभव आपके पास है, तो ठीक है। अन्यथा आपको प्रशिक्षण लेने और उसके बाद अनुभव प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

ताकि आपको उस व्यवसाय को करीब से जानने का मौका मिले, और आप खुद यह निर्णय ले पाएँ, की आप उस व्यवसाय को सफल बना पाएंगे या नहीं। खुद का बिजनेस शुरू करना, सुनने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसलिए उसकी उचित जानकारी और अनुभव का होना नितांत आवश्यक है।          

3. अपने बिजनेस की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें

खुद का बिजनेस शुरू करने से पहले उसकी प्लानिंग और परियोजना रिपोर्ट तैयार करना बेहद जरुरी होता है। इस योजना में उद्यमी को अपने व्यवसाय की प्रतिस्पर्धा, प्रोडक्ट, अंतराष्ट्रीय और घरेलु बाजार में उसकी माँग, और उस परियोजना को धरातल के पटल पर उतारने की व्यवहारिकता, इत्यादि का न सिर्फ बारीकी से आकलन करने की आवश्यकता होती है। बल्कि इसे लिखित रूप में एक दस्तावेज के तौर पर तैयार करने की भी आवश्यकता होती है।

इच्छुक व्यक्ति चाहे तो उस व्यवसाय से सम्बंधित सफलता और असफलता के मामलों का आकलन, करके सफल होने और असफल होने के कारणों का भी पता करने की कोशिश कर सकता है। कहने का आशय यह है की इस आकलन से व्यक्ति अपने आपको उन गलतियों से बचा सकता है, जो उस व्यवसाय में असफल हुए व्यक्तियों ने की।

प्रोजेक्ट रिपोर्ट उस समय काल के अनुरूप व्यवहारिक होनी चाहिए, इसके लिए इच्छुक व्यक्ति चाहे तो प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने वाले एक्सपर्ट की मदद ले सकता है। वह इसलिए क्योंकि यह एक ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें व्यवसाय से सम्बंधित सभी आंकड़े मौजूद होते हैं। कई बैंक ऋण देने से पहले इस दस्तावेज की मांग करते हैं।

प्रोजेक्ट रिपोर्ट में प्रमोटर की सभी डिटेल्स नाम, उम्र, पता, शैक्षणिक और व्यवसायिक योग्यता एवं उपलब्धि, रेवेन्यु मॉडल, आने वाली लागत इत्यादि सभी कुछ उल्लेखित होता है।         

4. खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए फण्ड के स्रोत फाइनल करें

खुद का बिजनेस शुरू करने में पैसे की जरुरत तो होती ही है। बिना पैसों के शुरू किये जाने वाले कुछ ही बिजनेस होते हैं, वो भी अधिकतर ऑनलाइन शुरू किये जाने वाले होते हैं। कुछ व्यवसाय को छोड़कर अधिकतर व्यापारों को शुरू करने के लिए फण्ड यानिकी वित्त की आवश्यकता होती ही होती है।

अब जब इच्छुक व्यक्ति ने खुद का बिजनेस शुरू करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट रिपोर्ट इत्यादि तैयार कर ली हो, तो अब तक उसे यह भी पता चल ही गया होगा, की उसकी परियोजना को शुरू करने में कुल कितनी लागत आ सकती है।

तो अब उद्यमी को इस बात का निर्णय लेना होगा की, वह फण्ड के किन किन स्रोतों को अपनाकर, अपने व्यवसाय के लिए फण्ड का प्रबंध करेगा। फण्ड का प्रबंध करने के लिए उद्यमी के पास कुछ औपचारिक तो कुछ अनौपचारिक स्रोत हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

औपचारिक स्रोतों में बैंक से ऋण लेना, एंजेल इन्वेस्टर या वेंचर कैपटीलिस्ट, कोआपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज से ऋण लेना इत्यादि शामिल है। जबकि यदि फण्ड छोटा हो तो उद्यमी अनौपचारिक स्रोतों जैसे घर परिवार के किसी सदस्य से पैसे उधार लेना, रिश्तेदारों से उधार लेना और यार दोस्तों से उधार ले सकता है।

कुल मिलाकर देखा जाय तो यह, उद्यमी पर निर्भर करता है की, वह खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए फण्ड के कौन कौन से स्रोतों का चुनाव करता है। उद्यमी चाहे तो क्राउड फंडिंग के माध्यम से भी अपने व्यवसाय के लिए वित्त का प्रबंध कर सकता है।        

5. अपने बिजनेस की लोकेशन का चयन करें

भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में कोई भी व्यक्ति यदि खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता हो, तो उसे उसके व्यवसाय के लिए लोकेशन का चुनाव करने की आवश्यकता होती है। बहुत सारे छोटे व्यवसाय जैसे दुकान, रेहड़ी पटरी इत्यादि ऐसे होते हैं, जिनकी सफलता में उनकी लोकेशन का अहम् योगदान होता है। 

कहने का आशय यह है की, एक रेलवे स्टेशन के भीतर चाय की दुकान खोलने के लिए जगह मिल जाने का मतलब है, की आपकी चाय की दुकान चलेगी ही चलेगी। वही यही चाय की दुकान के लिए किसी सुनसान गली, मोहल्ले में जगह मिल जाय, तो इसे चलाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ सकते हैं।

यह तो एक उदाहरण मात्र था, बाकी सभी बिजनेस की सफलता में भी अच्छी लोकेशन का अहम् योगदान होता है। हाँ इतना जरुर है की, बिजनेस की प्रकृति के आधार पर अलग अलग बिजनेस के लिए अलग अलग अच्छी लोकेशन हो सकती हैं। तो आप खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए उस व्यवसाय की प्रकृति के मुताबिक लोकेशन ढूंढ सकते हैं ।   

6. रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस सम्बन्धी काम पूर्ण करें

भारत में जो भी व्यक्ति खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता है, उसके लिए अपने व्यवसाय का रजिस्ट्रेशन कराना और उसे एक वैधानिक स्वरूप प्रदान करना, सबसे थका देने वाले कार्यों में से एक होता है। लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन भी बिजनेस की प्रकृति के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं।

लेकिन बीते कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकार इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस कार्यक्रम के तहत, बिजनेस के लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं को सरल एवं डिजिटल बनाने में जुड़ी हुई हैं। और इसमें कुछ हद तक सरकार कामयाब भी हुई है।

आज ऐसे कई सारे लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन जिनमें फ़ूड लाइसेंस, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड, कंपनी रजिस्ट्रेशन, जीएसटी रजिस्ट्रेशन इत्यादि शामिल हैं। को कोई भी इच्छुक उद्यमी घर बैठे ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पूर्ण कर सकता है।       

7. खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए टैक्स रजिस्टर्ड कराएँ

यद्यपि यदि आप शुरूआती दौर में प्रोप्राइटरशिप या फिर वन पर्सन कंपनी से भी शुरू करते हैं, तो आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन या फिर आपके व्यवसाय की प्रकृति के आधार पर जो भी सही टैक्स रजिस्ट्रेशन हो, करना चाहिए।

जहाँ तक जीएसटी रजिस्ट्रेशन की बात है, यह तक तक जरुरी नहीं होता है, जब तक आपका सालाना टर्नओवर एक निश्चित सीमा (जो कुछ राज्यों में बीस लाख और कुछ राज्यों में दस लाख है) को पार नहीं कर जाता।

लेकिन इसके बावजूद आप चाहें तो वोलंटरी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, यह आपके काफी काम आ सकता है । क्योंकि आजकल अधिकतर ईकॉमर्स कम्पनियाँ उन्हीं विक्रेताओं को सेलर के तौर पर रजिस्टर करती हैं। जिनके पास जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो।     

8. अपनी खुद की वेबसाइट बनायें

इन्टरनेट के इस युग में किसी भी व्यवसाय की ऑनलाइन उपलब्धता होना नितांत आवश्यक है। आपका व्यवसाय चाहे विनिर्माण क्षेत्र से हो या फिर सेवा क्षेत्र से, उसकी ऑनलाइन उपलब्धता आपको काफी फायदा पहुंचा सकती है।

भारत को एक युवा आबादी वाला देश कहा जाता है, और भारत देश के अधिकतर युवाओं को ऑनलाइन खरीदारी करना काफी पसंद आ रहा है। लेकिन यदि उन्होंने कोई चीज ऑफलाइन भी खरीदनी हो तब भी, उसका सर्च वे ऑनलाइन पर अवश्य करते हैं।

यदि आपके व्यवसाय की ऑनलाइन उपलब्धता होगी, तो वह आपके टारगेट कस्टमर तक पहुँचने में आपकी मदद करेगी। इसके अलावा आपके मौजूदा ग्राहक भी कई चीजें आपकी वेबसाइट के माध्यम से चेक कर पाएंगे।

वर्तमान में आप चाहें तो मात्र कुछ हज़ार रूपये खर्च करके वेबसाइट बनवा सकते हैं। या फिर वर्डप्रेस, ब्लॉगर इत्यादि के माध्यम से खुद भी खुद का वेबपेज बना सकते हैं। हालांकि ईकॉमर्स वेबसाइट बनाने के लिए खुद का बिजनेस शुरू करने वाले व्यक्ति को ज्यादा पैसे खर्च करने की आवश्यकता होती है।           

9. बाजार में अपनी स्थिति प्राप्त करें

यदि आप अपने व्यवसाय की बाजार में अलग सी एक स्थिति बनाना चाहते हैं। तो सबसे पहले आपको अपने व्यवसाय की आइडेंटिटी बनानी होगी। व्यवसाय की आइडेंटिटी से आशय Logo और ब्रांड नाम से है। अपने व्यवसाय का Logo बनाने के लिए किसी पेशेवर डिज़ाइनर को नियुक्त करें।

ब्रांड नाम ऐसा रखें की, लोगों को आसानी से याद हो सके। ब्रांड को सुरक्षित करने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन इत्यादि भी अवश्य कराएँ। Logo और ब्रांड नाम आगे चलकर मार्किट में एक स्थिति प्राप्त करने में मदद करते हैं।        

10. बैंक के साथ वित्तीय मामलों में बढ़ोत्तरी करें

खुद का बिजनेस शुरू कर रहे व्यक्ति को अपने व्यवसाय के नाम से एक अलग सा चालू खाता खोलने की आवश्यकता होगी । हालांकि शुरूआती दौर में उद्यमी चाहे तो व्यक्तिगत व्यक्ति के तौर पर खुद के नाम से भी चालू खाता खोल सकता है।

लेकिन जिस नाम से उद्यमी बिजनेस कर रहा हो, यदि बैंक में खाता भी उसी के नाम का हो तो, उद्यमी के ग्राहकों को पेमेंट करने और उसे सेटल करने में आसानी होती है। बैंक में चालू खाता खोलने के लिए बिजनेस रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज सहित पैन इत्यादि की भी आवश्यकता हो सकती है।

वैसे खुद का बिजनेस शुरू करने वाला उद्यमी चाहे तो जिस बैंक में वह खुद का चालू खाता खोलने की सोच रहा हो, उससे पहले उसकी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के बारे में जान ले। ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के तहत यदि उद्यमी के खाते में पैसे न भी हों, तो बैंक अपनी तरफ से पेमेंट कर देता है।

मान लीजिये की उद्यमी ने एक चेक जारी कर दिया, लेकिन उसके खाते में उतने पैसे नहीं थे, जितने का चेक जारी हुआ, ऐसे में यदि उद्यमी के खाते में ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी होगी। तो बैंक अपनी टफ से पैसे दे देगा, और उद्यमी का चेक बाउंस होने से बच जायेगा।     

11. कम वेतन वाले स्टाफ नियुक्त करें

खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए और उसे आगे बढ़ाने के लिए स्टाफ एक अहम् कड़ी है। और यह भी सच्चाई है की हर कोई बिजनेसमैन अपने बिजनेस के लिए प्रशिक्षित एवं योग्य स्टाफ नियुक्त करना चाहता है। लेकिन बिजनेस के शुरूआती दौर में क्या यह इतना आसान है?

जी नहीं, प्रशिक्षित एवं अनुभवी स्टाफ की नियुक्ति का मतलब है, वेतन पर एक बड़ी रकम खर्च करना, और जब बिजनेस शुरू ही किया हो, और आय के इतने स्रोत न हों, तो क्या ऐसे में वेतन पर बड़ी मात्रा में खर्च करना जायज है। शायद नहीं ।

इसलिए व्यवसाय के शुरूआती दौर में कोशिश यही करें, की कम से कम वेतन में अधिक से अधिक योग्य, सक्षम व्यक्ति नियुक्त हों। शुरूआती दौर में उन्हें इस तरह से मोटिवेट करते रहें की काम बढ़ जाने पर उनकी सैलरी भी बढती रहेगी।

ताकि कोई भी स्टाफ ऐसा न हो, जो काम सीखने के बाद कहीं दूसरी जगह चला जाय। शुरूआती दौर में कम सैलरी में प्रशिक्षित एवं अनुभवी लोगों का मिलना मुश्किल है। इसलिए उद्यमी अनट्रेनड लोगों को भी काम पर रखकर उन्हें काम सीखाकर, समय के साथ सैलरी बढ़ाकर, लॉयल स्टाफ के तौर पर बनाये रख सकता है।        

12. अपने बिजनेस का विज्ञापन करें

खुद का बिजनेस शुरू करने वाले व्यक्ति को एक बात का हमेशा ध्यान रखना होगा की, उसे बाजार में प्रतिस्पर्धा तो मिलेगी ही मिलेगी। तो फिर वह इस प्रतिस्पर्धा के बावजूद भी अपने व्यवसाय को कैसे सफलतापूर्वक चला पायेगा, यह उसकी मार्केटिंग रणनीति तय करेगी।

खुद का बिजनेस शुरू कर चुके उद्यमी को इसे सफल बनाने के लिए हर मुमकिन प्रयत्न करने की आवश्यकता होती है। उद्यमी चाहे तो किसी सेलेब्रिटी या फिर प्रसिद्ध व्यक्ति को ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर नियुक्त कर सकता है।

इसके अलावा अपने प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में लोगों को जागरूक कराने के लिए, कई तरह के विज्ञापन जैसे बैनर, पोस्टर, टेलीविजन, रेडियो, केबल टीवी, गूगल एड, फेसबुक एड, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, यूट्यूब विडियो इत्यादि का सहारा ले सकता है। खुद का बिजनेस शुरू कर चुके उद्यमी को अपने व्यवसाय का प्रभावी मार्केटिंग प्लान बनाना होगा।  

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