जिला उद्योग केंद्र क्या है? लोन स्कीम, आवेदन, रजिस्ट्रेशन की जानकारी।

जिला उद्योग केंद्र यानिकी District Industries Center (DIC) नामक इस कार्यक्रम की शुरुआत देश में 1978में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर फैले हुए लघु उद्योगों के विकास के लिए सभी तरह की सुविधाएँ और सेवाएँ एक ही जगह उपलब्ध कराना था। ताकि ग्रामीण इलाकों में लघु उद्यमों में संलिप्त उद्यमियों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।

इसके अलावा जिला उद्योग केंद्र कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में लघु उद्योगों को स्थापित करके रोजगार को बढ़ावा देना भी था। कहने का आशय यह है की जिला उद्योग केंद्र का प्रमुख कार्य ऐसी औद्योगिक इकाइयों का विकास करना है, जो ग्रामीण और छोटे शहरों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा करने में सक्षम हो सकें।

जिला उद्योग केंद्र क्या है

जिला उद्योग केंद्र क्या है

जिला उद्योग केंद्र जिला स्तर पर स्थापित एक ऐसी संस्था है, जो उस जिले में लागू उद्योगों और ग्रामोद्योग के विकास और उन्हें स्थापित करने की दिशा में काम करती है। जब जिला उद्योग केंद्र कार्यक्रम नहीं हुआ करते थे तब एक संभावित उद्यमी को अपना उद्यम शुरू करने या उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए अनेकों सरकारी एजेंसीयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। जिससे उसके धन, समय की बर्बादी के साथ साथ व्यापार शुरू करने में भी काफी देरी हो जाती थी।

अब कई राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा जिला उद्योग केंद्र को कई ऐसे अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ दी गई हैं। जिससे एक संभावित या मौजूद उद्यमी को अपनी जरुरत की सभी मदद एक ही एजेंसी (DIC) में मिलाना शुरू हो गई है।

जिला उद्योग केंद्र के कार्य

जिले में स्थापित उद्यमों या संभावित उद्यमियों को केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों, योजनाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना, और बैंकों, वित्तीय संस्थानों इत्यादि की लोन की जानकारी उपलब्ध करने के अलावा लाइसेंस रजिस्ट्रेशन और नियामक ढाँचे की जानकारी उपलब्ध कराना जिला उद्योग केंद्र के प्रमुख कार्यों में शामिल है।

  1. व्यवहारिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ जिले की संभावित औद्योगिक प्रोफाइल तैयार करना।
  2. विभिन्न रेगुलेटरी एजेंसी से बेहद कम समय में कम प्रयास के साथ अप्रूवल की सुविधा प्रदान करना। अप्रूवल के लिए सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित करना।
  3. बैंकों और सभी प्रकार के उद्यमियों के बीच क्रेडिट लिंक सुविधा को आसान बनाना।
  4. उद्यम एवं उद्यमियों को विपणन सम्बन्धी सहायता प्रदान करना।
  5. विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं जैसे प्राइम मिनिस्टर एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) इत्यादि को लागू करना ।
  6. इंडस्ट्रियल हेल्थ क्लिनिक के साथ राय परामर्श करके कमजोर और बीमार उद्योगों का पुनरुद्धार करना भी जिला उद्योग केंद्र के कार्यों में शामिल है।
  7. उद्योगों और तकनिकी संस्थानों के बीच सम्बन्ध बनाये रखने या स्थापित करने के लिए नई तकनिकी का इस्तेमाल करके सुविधाएँ प्रदान करना।
  8. जिले में जिस प्रकार के उद्योगों के लिए अवसर व्यापत हैं, उस प्रकार का कुशल विकसित करने के लिए सुविधाएँ प्रदान करना।
  9. इन्क्यूबेशन सेण्टर, रिसर्च सेण्टर और उद्योगों के बीच के जुड़ाव को सुगम बनाना।
  10. उद्यमिता विकास को आसान बनाना।
  11. क्लस्टर की पहचान करना और उनका पोषण करना।
  12. सरकार द्वारा आइडेंटीफाई किये गए महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास पर विशेष जोर देना।
  13. उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले उद्यमियों को सम्मानित करना, पुरस्कृत करना और मान्यता देना।
  14. औद्योगिक संघों और व्यापार निकायों के साथ मिलकर काम करना भी जिला उद्योग केंद्र के कार्यों में शामिल है।
  15. हालांकि जिन उद्योगों में सामान्य कच्चा माल चाहिए होता है वे खुले बाजार से इसे कहीं से भी खरीद सकते । जिन उद्योगों में कच्चे माल के तौर पर दुर्लभ सामग्री जैसे शराब, गुड़, मेथनॉल, कोयला इत्यादि कच्चे माल के तौर पर चाहिए होता है, उनके लिए कच्चे माल का प्रबन्ध कर पाना कठिन हो जाता है। क्योंकि इनका वितरण नियंत्रित और सीमित होता है। इसलिए जिला उद्योग केंद्र ऐसे उद्योगों को कच्चे माल खरीदने में मदद करता है, और इसका नियंत्रण भी करता है।  

जिला उद्योग केंद्र की भूमिका

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की जिला उद्योग केंद्र राज्यों एवं जिलों में उद्योगों को विकसित करने में और उनको प्रोत्साहित करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। यद्यपि इस कार्यक्रम को 1978 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन अब राज्य सरकारों ने भी इन्हें अनेकों दायित्व एवं अधिकार प्रदान कर दिए हैं। ताकि ये अपनी भूमिका का निर्वहन अच्छे ढंग से कर सकें।

कई राज्य ऐसे भी हैं जहाँ जिला उद्योग केन्द्रों के अलावा उप जिला उद्योग केंद्र भी बनाये गए हैं। ताकि ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों तक औद्योगिक विकास को पहुँचाकर रोजगार पैदा किया जा सके।

  • जिला उद्योग केंद्र के तहत तय कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान करने में अहम् भूमिका निभाते हैं।
  • सिंगल विंडो क्लेअरेंस सिस्टम स्थापित करने में भूमिका।
  • ग्रामीण और छोटे शहरों में उद्योगों को बढ़ावा देने में भूमिका।
  • ग्रामीण और छोटे शहरों में रोजगार के अवसर पैदा करने में भूमिका ।  

जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम

यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है की हर राज्य में जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम अलग अलग हो सकती हैं। कहने का आशय यह है की कई राज्य अपने राज्य में रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों सब्सिडी स्कीम चलाती हैं। जिन्हें लागू करने की जिम्मेदारी वे जिला उद्योग केंद्र को दे देती हैं, विभिन्न राज्यों में शुरू मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना इसका एक अनुपम उदाहरण है।

इसके अलावा कुछ ऐसी योजनाएँ भी होती हैं जो भारत सरकार यानिकी केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती हैं, जो सभी राज्यों में लागू होती हैं। वर्तमान में एक ऐसी ही योजना भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा युवा पेशेवरों को सब्सिडी ऋण मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

स्कीम के तहत कौन कौन ले सकता है लोन  

युवा पेशेवरों के लिए चलाई गई इस लोन योजना के तहत अनुसूचित जाति से सम्बंधित लोग, सफाई कर्मचारी के परिवार के लोग, अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोन लोन ले सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक रूप से विकलांग युवा पेशेवर जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, रोगविज्ञानी, अधिवक्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट, फिजियोथेरेपिस्ट, वास्तुकार इत्यादि इस सब्सिडी लोन का लाभ लेने के लिए पात्र हैं।

लेकिन यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की अलग अलग श्रेणी से जुड़े युवा पेशेवरों के लिए अलग अलग वित्त एवं विकास निगम स्थापित हैं। इसलिए हो सकता है की जिला उद्योग केंद्र की इस लोन स्कीम के तहत लोन पाने के लिए सम्बन्धित पात्र युवा को सम्बंधित वित्त विकास निगम की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़े।

1. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम:

www.nsfdc.nic.in

अनुसूचित जाति से सम्बंधित पात्र युवा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निवासित ऐसे युवा जिनकी वार्षिक आय 40000 रूपये से अधिक नहीं है, शहरी क्षेत्रों में निवासित युवा जिनकी वार्षिक आय 55000 रूपये से अधिक नहीं है। जिला उद्योग केंद्र की इस योजना के तहत उद्यम शुरू करने के लिए लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

प्रति इकाई अधिकतम निवेश30 लाख रूपये तक का
लोन कितने तक का मिलेगाकुल निवेश का 90% (जो 27 लाख से अधिक न हो)
प्रमोटर को कितना पैसा लगाना पड़ेगाकुल प्रोजेक्ट का 2-10 % तक
कितनी सब्सिडी मिलेगीबीपीएल लाभार्थी को रूपये 10 हज़ार तक की
लोन पर ब्याज कितना लगेगालोन अमाउंट पर निर्भर करेगा जो 6-10 % वार्षिक हो सकता है।
लोन पुनर्भुगतान का समय10 वर्ष तक

2. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी लोन कैसे लेंगे

www.nskfdc.nic.in

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारियों को लोन एवं वित्त सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम मौजूद है। पेशेवर सफाई कर्मचारी, मैला ढोने वाले नीचे तालिका में दिए गए नियमों के अनुसार उद्यम शुरू करने के लिए जिला उद्योग केंद्र लोन लेने के लिए पात्र हैं।

प्रति इकाई अधिकतम निवेश10 लाख रूपये तक का
लोन कितने तक का मिलेगाकुल निवेश का 90% (जो 9 लाख से अधिक न हो)
प्रमोटर को कितना पैसा लगाना पड़ेगाकुल प्रोजेक्ट का 10 % तक
लोन पर ब्याज कितना लगेगा6 % वार्षिक हो सकता है।
लोन पुनर्भुगतान का समय10 वर्ष तक

 3. राष्ट्रीय पिछड़ी जाति वित्त एवं विकास निगम

www.nbcfdc.org.in/

 राष्ट्रीय पिछड़ी जाति से सम्बंधित युवा जो ग्रामीण क्षेत्र में रहते हों और उनकी कुछ वार्षिक आय 40000रूपये से अधिक न हो, और शहरी क्षेत्रो में निवासित ऐसे युवा जिनकी वार्षिक आय 55000 रूपये से अधिक न हो, वह इस योजना के तहत लोन लेने के लिए निम्न नियमनुसार पात्र होंगे।

लोन कितने तक का मिलेगा5 लाख का
प्रमोटर को कितना पैसा लगाना पड़ेगाकुल प्रोजेक्ट का 5 % तक
लोन पर ब्याज कितना लगेगा5-6 % वार्षिक हो सकता है।
लोन पुनर्भुगतान का समय10 वर्ष तक

4. राष्ट्रीय शारीरिक रूप से विकलांग वित्त एवं विकास निगम

ग्रामीण क्षेत्रों में निवासित ऐसे पेशेवर जिनमें 40% से अधिक विकलांगता हो, और उनकी वार्षिक आय 3 लाख रूपये से अधिक न हो। शहरों में निवासित ऐसे युवा पेशेवर जिनमें 40% से अधिक विकलांगता हो, और वार्षिक आय 5 लाख रूपये से अधिक न हो। वे जिला उद्योग केंद्र की इस स्कीम के तहत उद्यम स्थापित करने के लिए लोन लेने के लिए पात्र माने गए हैं।  www.nhfdc.nic.in

लोन कितने तक का मिलेगा25 लाख तक का
प्रमोटर को कितना पैसा लगाना पड़ेगाकुल प्रोजेक्ट का 10 % तक
लोन पर ब्याज कितना लगेगा4-8 % वार्षिक हो सकता है।
लोन पुनर्भुगतान का समय10 वर्ष तक

जिला उद्योग केंद्र की जिन लोन स्कीम के बारे में हमने यहाँ पर बताया है, यह भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाई गई हैं। इसलिए यह सम्पूर्ण भारत में लागू हैं, हालांकि राज्यों के आधार पर अलग अलग स्कीम राज्यों में लागू हो सकती हैं। इसलिए आपके जिला या राज्य में कौन सी स्कीम लागू है, इसकी जानकारी आपको अपने नजदीकी जिला उद्योग केंद्र से ही मिलेगी। 

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