डेयरी फार्मिंग कैसे शुरू करें। Dairy Farming Business Plan in Hindi.

यह बिजनेस (Dairy Farming Business) पारम्परिक व्यवसायों में से ही एक है। हाँ यह बात अलग है की प्राचीनकाल में इस तरह का यह काम व्यवसायिक तौर पर कमाई करने के लिए नहीं बल्कि स्वयं एवं स्वयं के परिवार की दुग्ध सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता था । चूँकि उस समय लगभग अधिकतर लोग कृषि एवं कृषि से जुड़े उद्यमों पर निर्भर थे, और पैसों से अधिक वस्तु विनिमय चलता था, संयुक्त परिवार थे।

इसलिए वे बड़े पैमाने पर पशु पालन करके दुग्ध उत्पादन करते थे और दुग्ध एवं दुग्ध से उत्पादित उत्पादों को पूरे गाँव में वितरित करने की परम्परा थी। लेकिन जैसा जैसे मनुष्य आत्म निर्भर होता गया वैसे वैसे एक दुसरे पर निर्भरता ख़त्म होने लगी । क्योंकि मनुष्य को पैसा खर्च करके हर वस्तु, सुख, सुविधा आसानी से मिलने लगी। यही कारण है की लोगों के बीच वस्तु विनिमय एवं वितरित करने की परम्परा खत्म होने लगी।

और शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण इस बिजनेस को और बल मिला । जो उद्योगों एवं कार्यालयों में काम करने जाते थे उन्होंने  दुग्ध एवं दुग्ध के उत्पादों को खरीदना शुरू कर दिया था । क्योंकि शहरों में पशुपालन करने में वे असमर्थ थे। यही कारण है की मनुष्य की इस आवश्यकता ने धीरे धीरे एक व्यवसायिक रूप ले लिया और आज डेयरी फार्मिंग जैसे लाभकारी बिजनेस की लिस्ट में शायद ही कोई बिजनेस हो। यही कारण है की आज उद्यमियों द्वारा पारम्परिक तरीके से पशुपालन नहीं किया जाता ।

बल्कि वैज्ञानिकों एवं सरकारी अधिकारीयों की सलाह पर आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से डेयरी फार्मिंग का व्यापार शुरू किया जाता है। यही कारण है की आज डेयरी उद्योग भी भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाने में समर्थ है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में आज भी छोटे स्तर या घरेलु स्तर पर पशु पालन पारम्परिक तरीकों से ही किया जाता है।

लेकिन यदि आप डेयरी फार्मिंग को अपनी जरूरतों को ध्यान में न रखकर दूसरों की दूध सम्बन्धी जरूरतों को ध्यान में रखकर यह बिजनेस करना चाहते हैं तो उद्यमी को नई एवं आधुनिक तरीके से डेयरी फार्मिंग का यह व्यवसाय शुरू करना होगा।

वह इसलिए क्योंकि पारम्परिक विधि से शुरू करने पर उद्यमी अपने निवेश को डुबो सकता है यानिकी उसे लाभ कमाने की जगह हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए ध्यान रहे इस बिजनेस को शुरू करने के लिए भी उचित बिजनेस प्लान, अच्छे प्रबंधन और पशुओं की अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है।  चलिए आगे हम इस लेख में यही जानने का प्रयत्न कर रहे हैं की कैसे कोई उद्यमी व्यवसायिक तौर पर इस बिजनेस को अच्छे ढंग से शुरू कर सकता है।

dairy farming business plan in hindi
Dairy Farming in a village

डेयरी फार्मिंग क्यों शुरू करें (Why to Start Dairy Farming)  

जो भी उद्यमी इस बिजनेस को शुरू करने का विचार अपने दिमाग में लाते हैं तो वे अक्सर यह जानने को भी इच्छुक रहते हैं की उन्हें यह बिजनेस क्यों शुरू करना चाहिए। अर्थात स्पष्ट है की वे डेयरी फार्मिंग बिजनेस के लाभ जानना चाहते हैं। इसलिए यहाँ पर हम कहना चाहेंगे की वैसे तो यह बिजनेस शुरू करने के अनेकों लाभ हैं। लेकिन इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभों का जिक्र हम निम्नवत कर रहे हैं।

  • चूँकि यह एक ट्रेडिशनल व्यवसाय है और दुग्ध एवं दुग्ध से सम्बन्धित उत्पादों की हर जगह भारी मांग है। इसलिए उद्यमी को अपने उत्पादों की मार्केटिंग की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। उद्यमी अपने उत्पादों की भारत के किसी भी कोने में आसानी से बेच सकता है। बशर्ते ग्राहक इस बात से आश्वस्त होने चाहिए की उद्यमी के उत्पाद में कोई मिलावट नहीं है।
  • यह व्यवसाय पर्यावरण के अनुकूल है इसलिए यह हमारे वातावरण को किसी प्रकार से प्रदूषित नहीं करता है।
  • चूँकि इस तरह के बिजनेस में उच्च कौशल युक्त मजदूरों की आवश्यकता नहीं है। इसलिए उद्यमी शुरूआती दौर में अपने परिवार के सदस्यों को भी इस व्यवसाय में शामिल कर सकता है।
  • यदि उद्यमी अच्छे ढंग से योजना एवं इसका प्रबंधन करता है तो वह इससे अच्छा लाभ कमा सकता है। इसलिए ऐसे पढ़े लिखे व्यक्ति जो बेरोजगार हैं इस बिजनेस की शुरू कर सकते हैं।
  • भारत के वातावरण एवं जलवायु के आधार पर पशुओं की अनेकों देशी एवं विदेशी नस्लों को डेयरी फार्मिंग का हिस्सा बनाया जा सकता है।
  • चूँकि यह कृषि पर आधारित बिजनेस है और पर्यावरण को किसी प्रकार से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। इसलिए ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए लगभग हर राज्य में इस तरह के बिजनेस करने वाले उद्यमी को आर्थिक एवं तकनीकी रूप से प्रोत्साहित किया जाता है। इस तरह का व्यवसाय करने के लिए उद्यमी को सब्सिडी ऋण भी मिल सकता है।

पशुओं की नस्ल का चुनाव (Breed Selection)

भारत में डेयरी फार्मिंग शुरू करने वाले उद्यमी के लिए विभिन्न देशी एवं विदेशी नस्लें चुनाव करने के लिए उपलब्ध हैं। उद्यमी इन देशी विदेशी नस्लों में से कोई भी नस्ल अपने बिजनेस के लिए चुन सकता है।

उद्यमी चाहे तो गाय एवं भैंस दोनों को ही एक छप्पर के नीचे अलग अलग लाइनों में उनकी व्यवस्था करके डेयरी फार्म शुरू कर सकता है। यद्यपि गाय के दूध में भैस के दूध की तुलना में कम ववसा पायी जाती है इसलिए अनेक लोग ऐसे होते हैं जो गाय का दूध एवं गाय के दूध से निर्मित अन्य उत्पाद खाना एवं पीना पसंद करते हैं।

उद्यमी को चाहिए की वह उस एरिया में पता लगाये की किसके दूध की मांग अधिक है। भैंसों की नस्लों में मुर्राह, सुरती, मेहसानी, जाफराबादी, बधावरी इत्यादि अच्छी उत्पादन एवं दुधारू नस्लें हैं।

जबकि गायों की नस्लों में अच्छे उत्पादन करने वाली नस्लों में गिर, साहीवाल, लाल सिंधी, थारपारकर इत्यादि हैं। इसके अलावा यदि उद्यमी विदेशी नस्लों को अपना बिजनेस का हिस्सा बनाना चाह रहा हो तो वह होल्स्टीन फ्रेशियन, ब्राउन स्विस, जर्सी इत्यादि नस्लों के साथ भी जा सकता है। यद्यपि उद्यमी को अपने फार्म के लिए नस्लों का चुनाव करते समय बाजार का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

पशुओं के लिए जमीन एवं घर (Housing for animal)

पशुओं को स्वस्थ, निरोग एवं उत्पादक बनाये रखने के लिए उन्हें एक अच्छे आवास की आवश्यकता होती है। यदि उद्यमी चाहता है की उसके पशु दूध का अच्छा उत्पादन करें तो उसे छप्पर के अन्दर पशुओं को उचित स्थान मुहैया कराने की आवश्यकता होती है । आम तौर पर देखा गया है की शेड यानिकी छप्पर के अन्दर प्रति जानवर 40 वर्ग फीट  एवं खुले में 80 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता होती है।

छोटे स्तर पर यदि उद्यमी लगभग बीस पशुओं के साथ इस बिजनेस को शुरू करता है तो उसे कम से कम 3000 स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है। और एक माध्यम स्तर पर शुरू करने वाले उद्यमी जो लगभग 100 पशुओं से यह शुरू कर रहा हो उसे 15000-17000 स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

यद्यपि उद्यमी को यह बात सुनिश्चित करनी होगी की पशुओं के आवास में उचित वेंटिलेशन, ताज़ी हवा का आवागमन, पानी एवं पशुओं के लिए उचित जगह उपलब्ध हो।

पशुओं का खाना एवं देखभाल (Animal Caring & feeding)

चूँकि जैसा की हम सबको ज्ञात है की पशु भी जीवधारी है इसलिए उनकी जितनी अच्छी देखभाल एवं उन्हें पौष्टिक आहार उद्यमी द्वारा दिया जायेगा उनकी उत्पादकता भी उतनी ही बढ़ेगी। कहने का आशय यह है की अच्छी गुणवत्ता एवं पौष्टिक आहार खिलाने से पशुओं की दूध देने की क्षमता में वृद्धि होती है।

इसलिए यह व्यापार कर रहे उद्यमी को चाहिए की वह उन्हें हमेशा पौष्टिक आहार प्रदान करने की कोशिश करे। यद्यपि उद्यमी की कोशिश पशुओं को उचित मात्रा में हरा भोजन देने की कोशिश करने की होनी चाहिए जिससे उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता बढे और उद्यमी की चारा में आने वाली लागत घटे।

इसलिए यदि उद्यमी के पास जमीन की कमी न हो तो वह अपने पशुओं के लिए एक चारागाह भी स्थापित कर सकता है जहाँ कुछ समय के लिए वह अपने पशुओं को हरा चारा खाने के लिए छोड़ सकता है।

पौष्टिक आहार के साथ साथ पशुओं की स्वच्छ पानी देना भी बेहद आवश्यक है। इसके अलावा उद्यमी को पशुओं की अच्छी तरह से देखभाल करनी होगी उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। पशुओं को रोगों से मुक्त रखने के लिए उद्यमी उनका समय समय पर टीकाकरण करवा सकता है । और जरुरी दवाओं एवं सामग्री का स्टॉक भी हमेशा अपने पास रखना चाहिए।

डेयरी फार्म कैसे शुरू करें (How to Start Dairy Farming Business ):

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में Dairy Farming business को शुरू करने में हाउसिंग, ब्रीडिंग, फीडिंग इत्यादि की जानकारी दे चुके हैं । लेकिन इसके बावजूद भी हमें यह समझना होगा की व्यवसायिक तौर पर इस तरह का बिजनेस करना भारत में कोई आसान काम बिलकुल भी नहीं है। उद्यमी को डेयरी फार्म खोलने के लिए विभिन्न कदम उठाने की आवश्यकता होती है। जिनका संक्षिप्त वर्णन कुछ इस प्रकार से है।

  1. सबसे पहले उद्यमी को अपने डेयरी फार्मिंग की एक योजना एवं लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। इसमें सब कुछ हाउसिंग, ब्रीडिंग, फीडिंग एवं जानवरों की संख्या सब कुछ पहले ही योजनाबद्ध होना जरुरी है।
  2. उद्यमी इसे शुरू करने के लिए कुछ व्यवहारिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उस एरिया में स्थित डेयरी फार्म के भ्रमण कर सकता है और उसके मालिक से जितनी जानकारी मिल सके लेने की कोशिश कर सकता है। हो सके तो उद्यमी जितने अधिक फार्म में जाकर जानकारी हासिल करेगा वह अपने निर्णय लेने की क्षमता को भी उतना ही मजबूत करते जायेगा।
  3. उद्यमी को चाहिए की वह जिन फार्मों का भ्रमण कर रहा हो उनका विश्लेषण बारीकी से करे और जानने की कोशिश करे की पशुओं को खाना, पानी, दवाएं इत्यादि कब कब और कैसे दी जा रही हैं।
  4. डेयरी फार्मिंग करने वाले उद्यमी को नजदीकी पशु चिकित्सकों से मिलकर भी उस एरिया में डेयरी फार्मिंग की संभावनाओं पर बातचीत करने की आवश्यकता होती है ।
  5. यदि उद्यमी अपने फार्म को स्वयं द्वारा प्रबंधित एवं मेन्टेन करना चाहता है तो उसे कम से कम छह महीने किसी अन्य फार्म में काम करने की आवश्यकता हो सकती है।  ताकि वह जमीनी स्तर पर इस काम की बारीकियों एवं जटिलताओं को समझ सके ।
  6. उद्यमी को पशुओं के भोजन की उपलब्धता एवं उसकी कीमतों के बारे में सचेत एवं जागरूक रहने की आवश्यकता होती है। और प्रतिकूल मौसम के लिए भोजन का स्टॉक रखने के लिए भी व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है ।
  7. चूँकि यह एक शारीरिक परिश्रम वाला काम है इसलिए उद्यमी को अनुभवी एवं मेहनती लोगों को काम पर रखने की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में उन्हें काम का प्रशिक्षण या सीखाने की भी आवश्यकता हो सकती है।
  8. Dairy Farming Business शुरू करने के लिए उद्यमी को डेयरी फार्मिंग से जुड़ी जितनी भी जानकारी मिल सके ले लेनी चाहिए। उद्यमी इसके लिए चाहे तो किताब, ब्लॉग, फार्मों का भ्रमण इत्यादि कर सकता है।

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