पशु आहार निर्माण बिजनेस। Cattle Feed Manufacturing Business Plan in Hindi.

पशुओं के उचित विकास एवं दुग्ध क्षमता को बढ़ावा देने के लिए उन्हें उचित पोषकयुक्त Cattle Feed देने की आवश्यकता होती है । भारत सबसे बड़े और तेजी से बढ़ते कंपाउंड फीड के बाज़ारों में से एक है। हमारे देश भारत में व्यवसायिक एवं वैज्ञानिक तौर पर फीड मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत उत्तरी एवं पश्चिमी भारत में सन 1965 के आस पास शुरू हुई थी। इस दौर में इनकी मैन्युफैक्चरिंग के लिए मध्यम आकार के फीड प्लांटो की स्थापना हुई थी।

Cattle Feed की यदि हम बात करें तो इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से डेयरी से जुड़े मवेशियों की खानपान सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है ताकि उनसे उचित उत्पादन संभव हो सके।  यद्यपि जब पहले पोल्ट्री सेक्टर का उद्गम नहीं हुआ था और अण्डों का उत्पादन बैकयार्ड पद्यति से देशी पक्षियों के माध्यम से किया जाता था।  बीतते समय के साथ फीड इंडस्ट्री अन्य उद्योगों की तरफ भी विस्तारित हुई है।

इसलिए यह लगातार बढती जा रही है और अगले दशक में भी इसकी माँग में वृद्धि की संभावना लगातार बनी हुई है। भारत में यह फीड इंडस्ट्री प्रति वर्ष 8% CAGR की दर से आगे बढ़ रही है इस तरह की फीड डिमांड के लिए पोल्ट्री, एक्वा और डेरी इंडस्ट्री जिम्मेदार हैं। एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2012-13 में केवल 20.3 मिलियन टन Cattle Feed का उत्पादन किया गया था जो कुल आवश्यक फीड की बेहद कम मात्रा थी ।

चूँकि इस तरह की यह इंडस्ट्री लगातार और अधिक संगठित होती जा रही है इसलिए इस सेक्टर में और अवसर उपलब्ध होते जा रहे हैं और अनुमान यह है की आने वाले कुछ वर्षों में भारत सबसे फीड बाजार बन सकता है। यद्यपि पशु आहार बाजार को मुख्य रूप से तीन भागों पोल्ट्री, कैटल और एक्वा में बांटा जा सकता है इसमें 55% हिस्सेदारी पोल्ट्री फीड, 14% एक्वा फीड और 11% Cattle Feed की हिस्सेदारी शामिल है। यद्यपि इस तरह का या फीड उत्पादन बेहद खंडित है जिसे आम तौर पर घरों में कस्टम मिक्सिंग करके बनाया जाता है।

Cattle Feed manufacturing Business

पशु आहार इंडस्ट्री (Cattle Feed Industry):

यद्यपि पशु आहार इंडस्ट्री एवं मार्किट के बारे में हम उपर्युक्त वाक्यों में भी बात कर चुके हैं इसलिए यहाँ पर डेयरी फीडिंग सिस्टम के बारे में बात करना भी बेहद जरुरी हो जाता है। भारत में यदि पशु पालन की यदि हम बात कतरें तो ग्रामीण इलाकों में छोटे स्तर पर दुधारू पशुओं का भी पालन पोषण प्राकृतिक फिल्ड में चराई पर आधारित है। जिससे जानवरों को ग्रीन फ़ूड तो प्राप्त हो पाता है लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर खाना प्राप्त नहीं हो पाता है।

इसलिए Cattle Feed Manufacturing बिजनेस शुरू करने के इच्छुक उद्यमी को डेयरी फीडिंग सिस्टम की जानकारी होना नितांत आवश्यक है।

आम तौर पर भैंस या अन्य मवेशियों को गेहूं, धान, बाजरा, गन्ने का और अन्य अनाजों का पुआल एवं स्टोवर्स खिलाये जाते हैं। इन्हें भी चराई के लिए उपलब्ध घास के साथ पूर्ण किया जाता है और पशुओं को बेहद कम या सिमित कंसन्ट्रेट फीड खिलाया जाता है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के अनुसार, भारत में छह प्रकार के प्रमुख लाइवस्टॉक फीडिंग सिस्टम अपनाये जाते हैं इनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  1. सूखा चारा + कंपाउंड फीड + कंसन्ट्रेट फ़ूड
  2. सूखा चारा + हरा चारा + कंपाउंड फीड + कंसन्ट्रेट फ़ूड
  3. हरा चारा + होममेड कंसन्ट्रेट मिक्स + कंसन्ट्रेट फीड
  4. हरा चारा + कंपाउंड फीड + कंसन्ट्रेट फ़ूड
  5. साइलेज + सूखा चारा + कंसन्ट्रेट फ़ूड
  6. साइलेज + कंपाउंड फीड + कंसन्ट्रेट फ़ूड

पशु आहार निर्माण बिजनेस कैसे शुरू करें? (How to Start Cattle Feed Business in India):

पशु आहार निर्माण यानिकी Cattle Feed Manufacturing कृषि आधारित व्यवसाय है इसलिए इस तरह के व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा अनेकों योजनायें चलाई गई हैं। इसलिए उद्यमी को इस तरह का यह व्यवसाय शुरू करने से पहले उस राज्य विशेष या केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयत्न करना चाहिए।

ताकि उद्यमी उसी आधार पर अपने व्यवसाय को शुरू करने की योजना बना सके। आइये जानते हैं की इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमी को कौन कौन से कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है।

1. जमीन का प्रबंध (Land and building for cattle feed Manufacturing)

Cattle Feed Manufacturing Business शुरू करने के लिए भी उद्यमी को न सिर्फ जमीन की आवश्यकता होती है बल्कि जमीन के साथ साथ मशीनरी, उपकरणों, कच्चे माल, लाइसेंस एवं पंजीकरण, श्रमिकों इत्यादि की भी आवश्यकता हो सकती है। यदि उद्यमी के पास स्वयं की कोई गैर कृषि योग्य भूमि है तो उद्यमी उस भूमि में कंस्ट्रक्शन का कार्य शुरू करके भी अपनी इकाई स्थापित कर सकता है।

लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो उद्यमी किसी बिल्डिंग को किराये पर लेकर इस तरह की यह इकाई स्थापित कर सकता है। जहाँ तक इस व्यवसाय को शुरू करने में उपयुक्त जमीन का सवाल है यह इकाई की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करेगा की इकाई को स्थापित करने के लिए लगभग कितनी जमीन इत्यादि की आवश्यकता होगी। लेकिन इतना तय है की उद्यमी को न सिर्फ कार्यस्थल के लिए जगह चाहिए बल्कि स्टोर रूम, बिजली उपयोगिताओं एवं जनरेटर सेट के लिए जगह के अलावा एक छोटा सा ऑफिस स्थापित करने के लिए भी जगह की आवश्यकता होती है।

इस तरह से उद्यमी को कुल मिलाकर कम से कम 800-1200 Square Feet जगह की आवश्यकता हो सकती है। चूँकि इस व्यवसाय में उद्यमी के ग्राहक के तौर पर किसान, पशुपालक, डेरी फार्मिंग उद्यमी इत्यादि रहने वाले हैं इसलिए Cattle Feed Manufacturing Business को ग्रामीण एवं शहरी दोनों इलाकों में कहीं से भी शुरू किया जा सकता है।        

2. आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण

वैसे देखा जाय तो चूँकि यह कृषि से जुड़ा हुआ बिजनेस है इसलिए Cattle Feed Manufacturing के लिए शरुआती दौर में किसी लाइसेंस एवं पंजीकरण की अनिवार्यता तो नहीं है। लेकिन यदि उद्यमी चाहे तो अपने व्यवसाय को प्रोप्राइटरशिप के तौर पर रजिस्टर करके संचालित कर सकता है। जहाँ तक जीएसटी रजिस्ट्रेशन का सवाल है कृषि सम्बन्धी कुछ व्यवसायों के लिए इसकी छूट की सीमा अधिक है लेकिन उद्यमी चाहे तो वोलंटरी रजिस्ट्रेशन करवा सकता है।

इसके अलावा उद्यमी को स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस इत्यादि की भी आवश्यकता हो सकती है। इस उत्पाद की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड ने कुछ मानक निर्धारित किये हैं इसलिए इस उत्पाद का उत्पादन इन मानकों के अनुरूप होना नितांत आवश्यक है। पशुओं के कंपाउंड फीड के लिए IS: 2052‐ 1975 और मिनरल मिक्सचर सप्लीमेंट Cattle Feed के लिए IS: 1664‐ 1981 मानक निर्धारित हैं।       

3. मशीनरी एवं कच्चे माल का प्रबंध

Cattle Feed Manufacturing में अनेकों तरह के उपकरण एवं मशीनरी इस्तेमाल में लायी जाती है इसलिए इनकी खरीदारी से पहले उद्यमी को चाहिए की वह विभिन्न मशीनरी सप्लायर से कोटेशन मंगवा ले। और फिर इनका तुलनात्मक विश्लेषण करे और उसके बाद ही किसी अच्छे सप्लायर का चुनाव करे। इस व्यवसाय में इस्तेमाल में लायी जाने वाली कुछ प्रमुख मशीनरी एवं उपकरणों की लिस्ट निम्नलिखित है।   

  • मिक्सर मशीन
  • ग्राइंडिंग मशीन
  • पल्वराइजर
  • स्क्रीनिंग मशीन
  • पेलेटाईजिंग मशीन
  • लेबोरेटरी इक्विपमेंट

कच्चे माल की लिस्ट

  • गेहूं का चोकर
  • ग्राउंड नट एक्सट्रैक्शन
  • चावल का चोकर
  • मक्का
  • मस्टर्ड केक
  • खांड
  • कैल्शियम कार्बोनेट
  • मिनरल मिक्सचर और विटामिन मिक्स
  • सोया डी ओइल्ड केक

कच्चे माल का सप्लायर नियुक्त करने के लिए भी उपर्युक्त पद्यति अपनाई जा सकती है।   

4. पशु आहार का निर्माण कार्य (Start Cattle Feed Manufacturing)

पशुओं का चारा यानिकी Cattle Feed का निर्माण मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त एवं पोषकतत्वों की वांछित मात्रा को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल में लाकर और इन्हें मिश्रित करके किया जाता है। इस निर्माण प्रक्रिया में कच्चे माल को सबसे पहले एक एक करके यानिकी व्यक्तिगत रूप से ग्राइंड किया जाता है।

और उसके बाद इसे मिक्सर मशीन में मिक्स करने के लिए डाला जाता है ताकि उद्यमी को समरूप मिश्रण प्राप्त हो सके। और समरूप मिश्रण करने के बाद इस मिश्रण को पल्वराइजिंग मशीन में पल्वराइज करने के लिए भेज दिया जाता है। उसके बाद इस प्रक्रिया में आवश्यक कण प्राप्त करने के लिए इस मिश्रण को स्क्रीनिंग मशीन से गुज़ारा जाता है। और उसके बाद ही इसमें खांड इत्यादि मिलाई जाती है।

अब जब पशुओं का चारा तैयार हो जाता है तो उसके बाद इनका उत्पादन ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड के मुताबिक हुआ है या नहीं इसकी जाँच करने के लिए लेबोरेटरी में भेजा जाता है। और जाँच में पास होने के बाद ही Cattle Feed को मार्किट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है।

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